(इंदौर की दर्दनाक दुर्घटना पर अश्रुपूर्ण श्रद्धाजंलि) आँधी छलती है रोज़ हवा को, मृत्यु छल करती है जीवन से… हमने भी छल किया है खुद से, आज दूर किया जो मासूमों को… ढोंग पीटती ये सब विरह वेदना, छिप जाती है अव्यवस्थाओं में… अजगर की भांति वन में रेंगना, तंत्र […]

ज़माने बीत गए हैं उन्हें भुलाने में, हमारा ज़िक्र मगर है कहांँ फसाने में। जो अपने दरमियां दीवार हो गई हायल, तो सारी ज़िन्दगी लग जाएगी गिराने में। हवाले जिसके किया ऐशे ज़िन्दगी सब कुछ, दिखाई देता है मजबूर दिल लुभाने में। दहक रहा है जो दिल में अलाव यादों […]

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आज फिर खाली हाथ ही लौटा हूं.. गले लगा पत्नी को मैंने धीरे से उसके कान में बोला … मुस्कुराकर वो पलटी और मन्दिर में दीप जलाने लगी … चाय लेकर के आई पास वो और बच्चों संग लाड़ लड़ाने लगी.. बडी़ उम्मीद से भरी थीं उसकी आँखें.. धैर्य धर […]

बुझाने प्यास को दिल बेहिसाब मांगेगा, तुम्हारी आँख से ताज़ा शराब मांगेगा। मेरा यकीन यकीनन उसे न आएगा, सवाल करता रहेगा जवाब मांगेगा। मैं चाँद-तारे बिछाता हूँ जिसकी राहों में, मुझे जलाने को वह आफताब मांगेगा। मिला ‘रऊफ’ से मुद्दत के बाद वह आकर, जो ज़िन्दगी का हिसाबो-किताब मांगेगा॥   […]

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तेरी महफ़िल में दिवाने आए, आँख वो तुझसे मिलाने आए। शम्अ में जलते रहे परवाने, शम्अ को हम भी जलाने आए। राज़ दिल के मेरे पोशीदा रहें, वो  निगाहों को बताने आए। तेरे दिल में भी शरर है मौजूद, बात ये तुझको बताने आए। खौफ़ में क्यूँ न मुसाफ़िर हो […]

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तुम्हारी नज़र का इशारा मिलेगा, तो टूटे दिलों को सहारा मिलेगा। मेरे दर्द को जब किनारा मिलेगा, मुझे जीने का फिर सहारा मिलेगा। खुदाया मेरे मैं जो मझधार में हूँ, कभी मुझको भी क्या किनारा मिलेगा। कभी अजनबी रास्तों में कहीं तो, मुझे मंज़िलों का इशारा मिलेगा। हमेशा अँधेरों से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।