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बुझाने प्यास को दिल बेहिसाब मांगेगा,
तुम्हारी आँख से ताज़ा शराब मांगेगा।
मेरा यकीन यकीनन उसे न आएगा,
सवाल करता रहेगा जवाब मांगेगा।
मैं चाँद-तारे बिछाता हूँ जिसकी राहों में,
मुझे जलाने को वह आफताब मांगेगा।
मिला ‘रऊफ’ से मुद्दत के बाद वह आकर,
जो ज़िन्दगी का हिसाबो-किताब मांगेगा॥
#अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’
परिचय : अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’ को लिखने का शौक है। आप मध्यप्रदेश के सेंधवा(जिला बड़वानी) में रहते हैं।
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