परिचय : अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’ को लिखने का शौक है। आप मध्यप्रदेश के सेंधवा(जिला बड़वानी) में रहते हैं।
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ज़माने बीत गए हैं उन्हें भुलाने में,
हमारा ज़िक्र मगर है कहांँ फसाने में।
जो अपने दरमियां दीवार हो गई हायल,
तो सारी ज़िन्दगी लग जाएगी गिराने में।
हवाले जिसके किया ऐशे ज़िन्दगी सब कुछ,
दिखाई देता है मजबूर दिल लुभाने में।
दहक रहा है जो दिल में अलाव यादों का,
लगा हुआ है ज़माना उसे बुझाने में।
किसी की याद में रोया हूँ ख़ुश्क आँखों से,
लगी है आग मुहब्बत की आशियाने में॥
(शब्दार्थ:हायल=बीच में )
#अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’
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