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तेरी महफ़िल में दिवाने आए,
आँख वो तुझसे मिलाने आए।
शम्अ में जलते रहे परवाने,
शम्अ को हम भी जलाने आए।
राज़ दिल के मेरे पोशीदा रहें,
वो निगाहों को बताने आए।
तेरे दिल में भी शरर है मौजूद,
बात ये तुझको बताने आए।
खौफ़ में क्यूँ न मुसाफ़िर हो भला,
जो अँधेरों को मिटाने आए।
#अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’
परिचय : अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’ को लिखने का शौक है। आप मध्यप्रदेश के सेंधवा(जिला बड़वानी) में रहते हैं।
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बहूत खूब। सम्अ का अर्थ क्या हैं जी