कभी लोगों ने तड़पाया, कभी रोगों ने तड़पाया, कभी धनवानों ने रौंदा, कभी नेता ने धमकाया। कभी दिल में उठी सच बात को उसने नहीं रोका, इन्हीं सच्चाइयों ने तो उसे बढ़ना ही सिखलाया। वो बढ़ने फ़िर लगा आगे, किसी दीवाने के जैसे, ये दुनिया छोड़िए अपनों से भी पागल […]

पत्थरों की गुफाओं में कभी, रहते थे हम, निर्वस्त्र और नग्न कभी, रहते थे हम। पत्थरों के औजारों से कभी , आखेट हमने ही किया था। कच्चा माँस और रक्त कभी, हमने ही तो पिया था। जब हम तरक्कियों के दौर में, कांक्रीट के बने घरों में रहते हैं, पशुओं […]

हम अबोध हम नादान, प्रभु तुम ध्यान रखना। असत्य के मार्ग से हटे सत्य पर विजय करें, हर घड़ी ये उपकार करना। हम अबोध हम नादान, प्रभु तुम ध्यान रखना। . साजिशों से बचे कर्तव्य अपना करें, निज मार्ग तुम प्रशस्त करना। हम अबोध हम नादान, प्रभु तुम ध्यान रखना। […]

भगवान से भी बढ़कर एक चीज देखता हूँ, उठकर सुबह को माँ की तस्वीर देखता हूँ। होता है दर्द मुझको लगता हूँ मैं छिपाने, आँखों में मगर माँ की मैं नीर देखता हूँ। कुछ ऐसे भी जिनसे दूर साया माँ का, ऐसे अभागों की तकदीर देखता हूँ। जो कमी मुझे […]

कौन कहता है तुम्हारी बज़्म में अच्छी ग़ज़ल, प्यार में डूबी हुई सीधी सरल सच्ची ग़ज़ल। आज तक समझे न यारों हम रदीफ़ो क़ाफ़िया, दर्द उमड़ा जब जिगर में आँख से छलकी ग़ज़ल। काम लोगों का था कसना, फब्तियां कसते रहे हम नए अंदाज में कहते रहे अपनी ग़ज़ल। हम […]

ख़ता इतनी नहीं है देखिए जी। हमारी बेबसी है देखिए जी। तुम्हारे सामने बैठे हुए हैं, तुम्हारी बन्दगी है देखिए जी। तुम्हें देखे बिना बुझती नही है, बड़ी ये तिश्नगी है देखिए जी। तुम्हारा यूँ हमारे साथ होना, हमारी जिंदगी है देखिए जी। सभी जितनी रही हमसे तुम्हारी, शिक़ायत लाज़मी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।