हम अबोध हम नादान,
प्रभु तुम ध्यान रखना।
असत्य के मार्ग से हटे
सत्य पर विजय करें,
हर घड़ी ये उपकार करना।
हम अबोध हम नादान,
प्रभु तुम ध्यान रखना।
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साजिशों से बचे
कर्तव्य अपना करें,
निज मार्ग तुम प्रशस्त करना।
हम अबोध हम नादान,
प्रभु तुम ध्यान रखना।
हर सवेरा रोशन करे
धर्म और ईमान पर चलें,
ऐसा ज्ञान तुम मुझमें भरना।
हम अबोध हम नादान,
प्रभु तुम ध्यान रखना।
विपत्तियों से न डरें
धैर्य धारण करें,
हर मुश्किल घड़ी तुम साथ रहना।
हम अबोध हम नादान,
प्रभु तुम ध्यान रखना।
विश्व-बन्धुत्व रहे
प्रेम सबसे करें,
ह्रदय में सबके विद्यमान रहना।
हम अबोध हम नादान,
प्रभु तुम ध्यान रखना।
#शालिनी साहू
परिचय : शालिनी साहू इस दुनिया में १५अगस्त १९९२ को आई हैं और उ.प्र. के ऊँचाहार(जिला रायबरेली)में रहती है। एमए(हिन्दी साहित्य और शिक्षाशास्त्र)के साथ ही नेट, बी.एड एवं शोध कार्य जारी है। बतौर शोधार्थी भी प्रकाशित साहित्य-‘उड़ना सिखा गया’,’तमाम यादें’आपकी उपलब्धि है। इंदिरा गांधी भाषा सम्मान आपको पुरस्कार मिला है तो,हिन्दी साहित्य में कानपुर विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान पाया है। आपको कविताएँ लिखना बहुत पसंद है।