प्रायश्चित

1
0 0
Read Time3 Minute, 27 Second

sudha kanouje
शालू के दिल में विराट के लिए अथाह प्रेम था, इसलिए शायद विराट के साथ उसने न जाने क्या-क्या सपने देख लिए? किन्तु जब अंधप्रेम का भूत उतरा,तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
आज वह अपनी की गई गलती के लिए बेहद शर्मिंदा थी। आज उसकी अाँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। आज उसे माँ-बाप के मायके की बहुत याद आ रही थी।
माँ-बाप ने उसकी हर बात मानी। उसे कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। माँ उसकी शादी एक इंजीनियर से कराने की जिद पर अड़ी थी। पिताजी से कह रही थी कि,-देखना आप वहाँ मेरी बेटी राज करेगी। सारे रिश्तेदार,मुहल्ले वाले देखते रह जाएंगे। अपनी बेटी की शादी इतनी धूमधाम से करूंगी।
पर मैंने तो मन-ही-मन विराट को जीवनसाथी बनाने की ठान ली थी,जो चाय की दुकान चलाया करता था।
आखिर कौन दुश्मन माँ-बाप होंगे जो अपनी पढ़ी-लिखी, सुंदर,सुशील बेटी को चायवाले के साथ ब्याह देंगे।
यही सोचकर मैंने विराट के साथ भागकर शादी की। उस दिन से मेरे माता-पिता को मेरी सूरत से भी नफरत हो गई। उन्होंने आज तक मुझसे मेरा हाल तक नहीं पूछा। यहाँ तक कि,विराट की मौत पर भी वो मुझसे मिलने नहीं आए।
विराट के साथ शादी करके मुझे समझ आया कि, सपनों और हकीकत में जमीन-आसमान का फासला होता है। एक-एक करके मेरे सारे सपने जमींदोज होते रहे। आर्थिक तंगी ने हम दोनों को तोड़कर रख दिया था। ससुराल और मायका दोनों पक्षों की नाराजगी के कारण हमें किसी से कभी कोई मदद नहीं मिली। अब तीन बच्चों का खर्च उठाने में विराट को मुश्किल हो रही थी। परेशानियों के चलते रोज विराट के साथ झगड़े होने लगे। और एक दिन अचानक विराट की `हृदयाघात` से मौत हो गई।
`काश! मैं उस समय भावनाओं में बहकर घर से न भागती। बैठकर अपने माँ-बाप से अपने मन की बात कहती तो शायद वो आज मेरे साथ होते। मेरे माता-पिता विराट के माँ-बाप से मिलकर समस्या का समाधान अवश्य निकाल लेते। आज मेरे बच्चों का भविष्य सुरक्षित होता। उस समय मैं स्वार्थ में इतनी अंधी हो चुकी थी कि,मुझे वही माँ-बाप जिन्होंने मेरी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश की,अपने दुश्मन लगने लगे थे।`
किंतु अब पछताए क्या होत…l

                                                                           #सुधा कनौजे 
परिचय : श्रीमती सुधा कनौजे मध्यप्रदेश के दमोह में न्यू हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी (विवेकानंद नगर) में रहती हैंl श्रीमती कनौजे दमोह के  जिला शिक्षा केन्द्र में एपीसी(जेण्डर) हैंl 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “प्रायश्चित

  1. सबक देती कहानी.. उम्दा.. नयी पीढ़ी को समझने की विशेष जरुरत है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

हंसना-रोना

Sat Sep 2 , 2017
  हंसना भी सीखा, रोना भी सीखा। सीखा है पाना भी, सीखा है खोना भी।   अपनों को खोया है, सपनों को खोया है। लेकिन जीतने की जिद, न मुझे झुका सकी न मुझे डिगा सकी।   मैं भी बढ़ता गया, कारवां बनता गया। लोग अपने बने, कुछ पराए हुए। […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।