हंसना-रोना

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 keshav
हंसना भी सीखा,
रोना भी सीखा।
सीखा है पाना भी,
सीखा है खोना भी।
 
अपनों को खोया है,
सपनों को खोया है।
लेकिन जीतने की जिद,
न मुझे झुका सकी
न मुझे डिगा सकी।
 
मैं भी बढ़ता गया,
कारवां बनता गया।
लोग अपने बने,
कुछ पराए हुए।
 
कुछ साए बने,
कुछ सयाने बने।
जो भी अपने बने,
बस दीवाने हुए।
क्योंकि,
मजबूरी न डिगा सकी,
लाचारी न ललचा सकी।
 
मेहनत से मैंने काम किया है,
फिर भी तोहमत!
अपने ही सिर मढ़ ली है।
क्योंकि,
दूजों पर तोहमत लगाना,
अच्छी बात नहीं,
किसी को भी बुरा कहें,
ये मेरी औकात नहीं।
 
अच्छों को बुरा साबित करना,
दुनिया की पुरानी आदत हैl 
मानव हैं तो सेवा करना,
हमारी पूजा और इबादत है।
 
बसते हैं दिल में भगवान,
जानते हैं सभी इन्सान।
फिर भी खुद को,
धोखा दिए जा रहे हैंl 
आज भी हम गलती,
अनवरत किए जा रहे हैं।
 
मैंने जो भी किया,
मैंने जो भी लिया।
सब-कुछ यहीं पर किया है,
सब-कुछ वापिस किया है।
 
जीवन से शिकवा-शिकायत नहीं है,
मैं आया जहां से इनायत वहीं है।
न गम है किसी का खुशी है जिंदगी की।
कि मिट्टी का तन ये,
मेरा भोला-सा मन ये।
 
न मैला हुआ है,
न फैला हुआ है।
क्योंकि,जो भी मिला है,
दिल उसी में खिला है।
न किसी से शिकवा है,
ना किसी से गिला है।
मुझे तो महाकाल का,
आश्रय मिला है।
 
जो भी मिला है,
बहुत कुछ मिला है।
न शिकवा किसी से,
न किसी से गिला हैll 

                                             #केशव कुमार मिश्रा

परिचय: युवा कवि केशव के रुप में केशव कुमार मिश्रा बिहार के सिंगिया गोठ(जिला मधुबनी)में रहते हैं। आपका दरभंगा में अस्थाई निवास है। आप पेशे से अधिवक्ता हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।