दुखों के वन में ख़ुशी की गोरैया आती, खिड़की की बारीक़ जाली से देखती हैं घर की दीवारों में, रंगीन चित्रों पर जब काले साए, एक पल तो सहम जाती है अपने पंखों में छिप जाती है, प्रयास करती है उड़ जाने को, खुले नीले अम्बर में पर नहीं कहती […]
शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ-सा जाता हूँ। कहना चाहूँ क्या-क्या,लेकिन क्या-क्या मैं कह जाता हूँ॥ सुनकर ही,उस पर ही चलना आदत को मंजूर नहीं। रुककर थोड़ा मनन न कर सकूँ,ऐसा तो मजबूर नहीं॥ सीधी-साधी बातों में ही कितना कुछ मैं पा जाता हूँ। शब्दों के चक्रव्यूह में […]
कुछ प्रीत जगानी थी मुझको, कुछ रीत निभानी थी मुझको। कुछ ऐसे गीत सुनाने थे, जो महफिल को भी भाने थे॥ कुछ सूरज की अरुणाई के, कुछ तरुणों की तरुणाई के। कुछ देश धरा की माटी के, कुछ भारत की परिपाटी के। कुछ ऐसे नगमे गाने थे’ जो महफिल को […]
चंचलता या मुस्कान मेरी, मेरी आभा ओ शान मेरी, सब कुछ जो है सरलता मेरी, मेरा मुझमें जो भी है मुझसा ही तो है, मैं बदलूं खुद को क्यों किसके लिए, मेरा मुझमें जो भी है मुझसा ही तो है, चाहे कोई मुझे या न चाहे मैं खुद को ही […]
समय के कोरे कागज पर, नित नया इतिहास लिखें। मन के प्यासे अधरों पर, हम गीतों की प्यास लिखें॥ पल-पल घटते जीवन की, स्वांस-स्वांस का मोल लिखें। मन के प्यासे अधरों पर, हम गीतों की प्यास लिखें॥ ये तेरा और ये मेरा, सब असार का सार लिखें। मन के प्यासे […]
भाग-१ बस्ता,जिसे अँग्रेज़ी में बैग और हिंदी में थैला बोलते है,पर मुझे बस्ता बोलना पसंद है,क्योंकि जब छोटे थे,शाला जाते थे तो इसे बस्ता बोलते थे। पता है ये बड़े काम की चीज था,तब भी और अब भी। बड़े होते गए और बस्ते बदलते गए। कई बार मार भी खाई […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।