शब्दों के अस्त्र

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durgesh
शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ-सा जाता हूँ।
कहना चाहूँ क्या-क्या,लेकिन क्या-क्या मैं कह जाता हूँ॥
सुनकर ही,उस पर ही चलना आदत को मंजूर नहीं।
रुककर थोड़ा मनन न कर सकूँ,ऐसा तो मजबूर नहीं॥
सीधी-साधी बातों में ही कितना कुछ मैं पा जाता हूँ।
शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ-सा जाता हूँ॥
दिल से दिल की ही सुन पाऊँ,तो इससे कोई गिला नहीं।
ऐसे दिल की कहने वाला पर अब तक मुझको मिला नहीं॥
लाखों दिलों की एक बात भी क्या कभी मैं लिख पाता हूँ।
शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ-सा जाता हूँ॥
जबां ये कहती कितना कुछ,परछाई इसमें किसकी है।
अथाह गहराई से ठेठ निकलती,पर ये आह किसकी है॥
खोया मैं फिर भी उन्हीं सांसों में,जिससे जीवन पाता हूँ।
शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ सा जाता हूँ॥
बन्धन कितने अड़चन कितनी,क्या इनको पार पाऊँगा।
जीवन की कितनी ही है सच्चाईयां,क्या कभी कह पाऊँगा॥
सोच दिमाग की इसी में अटकी,क्या कभी सुलझ मैं पाता हूँ।
शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ-सा जाता हूँ॥
कहना चाहूँ क्या-क्या,लेकिन क्या-क्या मैं कह जाता हूँ।
छोटा-सा यह मेरा मन जाने क्यों व्यथित सा रहता है॥
दिल के इक कोने में खोया हुआ सा अतीत रहता है।
पाकर भी मैं उस अतीत को क्षण भर में विस्मृत पाता हूँ॥
शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ सा जाता हूँ।
कहना चाहूँ क्या-क्या,लेकिन क्या-क्या मैं कह जाता हूँ॥
आज धरातल कोमल न सही फूल भी इसमें कहाँ मिले।
रोकर-खोकर जीवन-जीकर भी होंठ न रखूंगा किन्तु सिले॥
शब्दों के ही अस्त्रों से अब जन-जन को जगाना चाहता हूँ।
शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ सा जाता हूँ॥
कहना चाहूँ क्या-क्या,
लेकिन क्या-क्या मैं कह जाता हूँ॥
                                                                                        #दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।