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![pankaj-300x208](http://matrubhashaa.com/wp-content/uploads/2017/05/pankaj-300x208-300x208.png)
अगर सैलाब उतरा तो किनारा हम भी देखेंगें,
तुम्हारे हुस्न का दिलकश नज़ारा हम भी देखेंगें।
हटा दो ज़ुल्फ की काली घटा को अपने चेहरे से,
चमकती चाँदनी,रौशन सितारा हम भी देखेंगें।
जिसे कल तक तुम्हारी चाहतों का ही सहारा था,
उसे कैसे किया है बे-सहारा,हम भी देखेंगें।
सुना है तीर नज़रों से चलाना तुमको आता है,
नज़र से तीर चलने का इशारा हम भी देखेंगें।
सुना है प्यार का संगम ऐ ‘पंकज’ दिल तुम्हारा है,
तुम्हारे साथ में करके गुज़ारा हम भी देखेंगें॥
#पंकज सिद्धार्थ
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