कोयला  कितना  भी  उजला  दिखा ले, पर मन का काला तो काला ही दिखेगा, मकड़े  का  तो काम ही  है  बुनना  जाला, वो तो हमेशा नफरत का जाला ही बुनेगा, गिरगिट से ना उम्मीद करना शराफत की, बात बात में ये नित नए रूप दिखलायेगा। दोमुहे  साँपो  का  कभी  भी  […]

मुरझाए पत्ते  हो  तुम, अब कैसे रुक पाओगे। कभी  जिन  हवाओ के आगे तुम ना झुकते  थे कैसे अब उनके वेग को तुम    सह    पाओगे । अपने   आख़िरी  अंजाम को अब तुम पहचान लो । इससे पहले गिरा दे  तुम्हें ये  हवाएं   क्यों   ना  अब उस पेड का […]

मौन  मचाये  शौर, बता तेरा है कौन । झूठ जोर से बोला, साथ खड़ा मैं तेरे । अपनापन   शरमाया, उसका सर चकराया। विश्वास ने दी बधाई, फिर  उम्मीद  बनाई। धोखे को हँसी आयी, बार बार क्यों तू चोट खाता     है     भाई । मन ने ढाँढस बँधाया, सभी अपने […]

कोयला कितना भी उजला दिखा ले, पर मन का काला तो काला ही दिखेगा, मकड़े का काम है  बुनना जाला, वो  तो  हमेशा जाला  ही  बुनेगा, गिरगिट से ना उम्मीद करना शरिफी कि, बात बात में ये नित नए रूप दिखलायेगा। दोमुहे साँपो का कभी भी विश्वास ना करना। आस्तीन […]

इधर उधर की बाते, बिना बात की बाते, कुछ लोगो के चेहरे ही  उनका  गिरापन हर पल है दिखलाते, बिना बात इठलाते बेशर्म बड़े कभी भी अपनी हरकतो पर ना शर्माते, बिन पेंदी के है लौटे अपनी  जरूरत  के मुताबिक इधर उधर लुढकते है जाते, कपटी  शब्द  भी  इन्हें देखकर […]

जिंदगी भर जिंदगी के बिखरे तिनके चुनता रहा। बिगड़ते हुए ख्वाबो को यूँ ही बुनता चला गया।। भरे हुए जख्म जिन पर नमक लगाया लोगो ने, उन छिले जख्मो को मरहम लगाता चला गया। सपने जो पेड के पत्तो से ओश की बूंदों सा टपक रहे थे। उन बूंदों को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।