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मौन मचाये शौर,
बता तेरा है कौन ।
झूठ जोर से बोला,
साथ खड़ा मैं तेरे ।
अपनापन शरमाया,
उसका सर चकराया।
विश्वास ने दी बधाई,
फिर उम्मीद बनाई।
धोखे को हँसी आयी,
बार बार क्यों तू चोट
खाता है भाई ।
मन ने ढाँढस बँधाया,
सभी अपने है भाई ।
आँखे क्यों भर आयी,
अपना दिल ऐसा है भाई।
सच्चे मन की सच्चाई,कभी
झूठ को समझ ना आयी।
#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
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