धोरां री धरती अठै, चांदी सो असमान। पाग अंगरखा केशरी, वीराँ रो अरमान। वीराँ रो अरमान, ऊँटड़ै शान सवारी। रेगिस्तान जहाज,ऊँट अब पशु सरकारी। कहै लाल कविराय, पर्यटक आवै गोरां। देवां रै मन चाव, जनमताँ धरती धोरां। खाटो सोगर सांगरी ,कैर काचरी साग। छाछ राबड़ी खीचड़ी,मरुधर मिनखाँ भाग। मरुधर मिनखाँ […]