धोरां  री धरती अठै, चांदी  सो असमान। पाग अंगरखा  केशरी, वीराँ रो  अरमान। वीराँ   रो  अरमान, ऊँटड़ै   शान  सवारी। रेगिस्तान जहाज,ऊँट अब पशु सरकारी। कहै लाल कविराय, पर्यटक  आवै  गोरां। देवां  रै  मन चाव, जनमताँ  धरती  धोरां। खाटो  सोगर   सांगरी ,कैर  काचरी  साग। छाछ राबड़ी खीचड़ी,मरुधर मिनखाँ भाग। मरुधर  मिनखाँ   […]

.           सूरज जाए मकर में,तिल तिल बढ़ती धूप। फसले सधवा नारि का, बढ़ता जाए  रूप।। .            पशुधन कीट पतंग भी, नवजीवन सब पाय। वन्य पशू पौधे सभी,कली कली खिल जाय।। .            तितली भँवरे मोर पिक, करते  हैं  मनुहार। ऋतु बसंत के आगमन,स्वागत करते द्वार।। .            मानस बदले वसन ज्यों,द्रुम दल […]

सूरज उत्तर पथ चले,शीत कोप हो अंत। पात पके पीले पड़े, आया  मान  बसंत।। .                 फसल सुनहरी हो रही, उपजे कीट अनंत। नव पल्लव सौगात से,स्वागत प्रीत बसंत।। .                  बाट निहारे  नित्य ही, अब तो  आवै  कंत। कोयल सी कूजे निशा,ज्यों ऋतुराज बसंत।। .                 वस्त्र हीन तरुवर खड़े,जैसे तपसी संत। […]

करूँ  सदा  शुभ कामना, उन्नत  होवे  देश। भूमण्डल सरनाम हो,उज्ज्वल हो परिवेश।। देश  वासियों   के  लिये, नये  साल   संदेश। जनता को शुभकामना,खुशियाँ सभी प्रदेश।। सामाजिक  परिवेश में, मानव  मान समाज। सबके हित शुभकामना,नये साल की आज।। नारी को शुभकामना, मैं  देता  करजोर। शक्ति देश की ये बने, बढ़े  उन्नति  ओर।। […]

हिन्दी के सम्मान हित, कार्य करते दिन रात। मातृभाषा, परिवार  है, साहित  को सौगात। साहित को सौगात, सभी के सृजन  प्रकाशे। नवसृजक हितमान,सभी की कलम विकासे। कहे लाल कविराय ,साहित भाल की बिन्दी। अर्पण जैन  महान, समर्पित  जीवन  हिन्दी। .                      करते सृजन प्रकाश ये, हिन्दी  अंतरजाल। अर्पण जी छापे सभी, […]

देख समय ने पलटी खायी, मोबाइल के दर्शन भोर। साहुकार बंदिश में रहते, खुले डोलते डाकू चोर। पहले शहरों में बसती अब, कविता चली गाँव की ओर। अखबारों का युग बीता है, टीवी धुँधले होते आज। कथा कहानी पुस्तक पढ़ना, रीत बीत कर बिगड़े काज। वाट्स एप हर जन हर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।