दुःख दर्द भी जिसका मजा लूट रहे हैं, वही आँसू आज मोती बनकर छूट रहे हैं। रिश्तों की खनखनाहट है और टूटने का डर, बचाने के लिए आँखों से आँसू फूट रहे हैं। होंठ पड़े हैं निःशब्द पूछने के लिए क्या हुआ? करीब जाने का रस्ता ढ़ूढ़ रहे हैं। जीवनभर […]
अँधेरें में तेरी रोशनी पाकर, हर शख्स सम्भलता है। तेरी खूबी ये है ‘चाँद’ तू सबके साथ साथ चलता है। भले ही दाग हो, तेरे चेहरे पर काला। न जाने क्यूँ हर शख्स तुझसे मिलने को मचलता है। न जाने कितनी अंगुलियाँ, उठी होगी आज तलक। तुझ पर,पर तू है […]
दिल से क्या खता हो गई हमसे, कर दिया बेसहारा घर छोड़कर निकले थे हमारा, तन्हाई में यूँ सफर कटता नहीं दे गए गम बहुत सारा। प्यार की नजाकत को समझ पाते गर तुम, टूटता नहीं ये रिश्ता प्यारा। शाम ढलने को है चांद निकलने को, मुलाकात होगी बनकर तारा। […]
बात लबों तक तो आएगी, पर दबी रह जाएगी। गर शब्दों के लिए जगह न होगी महफिल में कविताएँ शोक मनाएंगी, ग़ज़ल दबी रह जाएगी। आलम ये होगा दुनिया का मन्दिर पडे़ होंगे खाली, मूर्ति मिट्टी में दबी रह जाएगी कोई नहीं जाएगा, किसी मय्यत पर रोने कांधा पाने की […]
तुम्हारी एक अलग पहचान है. बैठे हो ऊपर शिखर के यही कारण है आगे हो सबसे,पर अनिकट भी उतने हीl मुझे नहीं भाती दूरी, चलना इतनी गति से कि,पीछे छूट जाएं सबl चढ़ा था एक दफा, पारसनाथ पहाड़ पर देखा नीचे सब धुँधला-सा दिखा भयभीत हूँ तब से ऊँचाइयों सेl […]
एक पहेली स्त्री…, जलाया स्वयं को जिसने जग उज्जवल किया चन्द्रकलां की भाँति वही तो है उस दीपक की बाती l सैंतकर स्वयं में जिसने तुम्हें तुमको दिया l वही तो है, कोख भीतर जिसके तुमने वस्त्रहीन कुछ पल जिया l चंद्रप्रभा से निर्मित, जिसके आंचल शीतल वही तो है, […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।