अंतर…

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ajay r mishr

तुम्हारी एक अलग पहचान है.

बैठे हो ऊपर शिखर के यही कारण है
आगे हो सबसे,पर अनिकट भी उतने हीl

मुझे नहीं भाती दूरी,
चलना इतनी गति से

कि,पीछे छूट जाएं सबl

चढ़ा था एक दफा,
पारसनाथ पहाड़ पर
देखा नीचे सब धुँधला-सा दिखा

भयभीत हूँ तब से ऊँचाइयों सेl

यथोचित है मैं पीछे हूँ,नीचे हूँ
दोस्तों से,समाज से और तुमसे भी

पीछे हूँ तभी गढ़ पाता हूँ कविता,

देख पाता हूँ दोस्तों के

दोस्ती निभाने का सलीका,
समाज कैसे झटके में

कुरीतियों को देता है हवा,
और तुम्हारी लाचार चुप्पी

दरअसल यही कारण है,

कि मैं पीछे हूँ सबसे।

नाली में सपने…,

मैं समाज का ठेकेदार बोल रहा हूँ

सुनो,
तुम निम्न जातियों के वंशज

तुम्हारे ही जिम्मे है,

नाली के मैलों की सफाई

सड़कों,सीवर-सैप्टिक टैंकों

और भी जहाँ-कहीं,
गंध जो  हम फैलाते हैं,

तुम्हें ही करनी होगी साफ

तुम मरते हो तो मरते रहो,

उसके विषवायु से
विधवा होती है तो

हो जाए तुम्हारी पत्नियां,
चाहे तुम्हारी संतानें भूखमरी से

ही क्यों न मर जाए

फर्क नहीं पड़ता हमें क्योंकि,

शर्म नहीं,संवेदना नहीं हममेंl
कानून किस चिड़िया का,

नाम है हम नहीं जानते

पैंचलम्मा,श्रीलता,नागम्मा

विधवाओं तुम भी सुनो,

तुम्हारे सपने अब तुम्हारे नहीं
और इस सड़ांघ में मरना

तुम्हारी किस्मत बस,

इस जातिगत गंदगी को

कोई साफ नहीं कर सकता कभी।

मनोवृत्ति की वेश्यावृत्ति…

दुको दुको,
दुक-दुककर आनंद लो

अब,जबकि समाज थूक रहा है

ढोल-नगाड़े बजाओ,
नाचो-गाओ

अपार हर्ष मनाओ

तुम्हारी मनोवृत्ति से उपजीे वेश्यावृत्ति,
नित महाशून्य जो छू रही है||

                                                        #अजय आर. मिश्र ‘धुनी’

परिचय : अजय आर. मिश्र ‘धुनी’ झारखण्ड राज्य के धनबाद से हैं l जन्मतिथि- ७ सितम्बर १९८४ और जन्मस्थान धनबाद ही है l इंटर तक आपने पढ़ाई की है और पुजारी का कार्य करते हैं l सामाजिक क्षेत्र में आप संस्कार भारती साहित्य से जिला स्तर पर जुड़े हुए हैं l कविता रचना आपकी रूचि और विधा है l आप लेखन को जीविका का उद्देश्य बनाने के लिए अग्रसर हैं l

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।