अम्मा की दो अंगुलियां

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atul sharma
अम्मा की दो अंगुलियां काली नहीं होती अब तो,
बच्चों के नैनों में काजल भी नहीं मिलती अब तो।
कजरा रे और काले नैना कोरी कल्पना रह गयी,
और धीरे धीरे काजल श्रृंगारदान से गायब हो गयी।
पल्लू माँ की साड़ी का अब गंदा नहीं होता
माँ से रह कर दूर लाल भी ममतामयी नहीं होता
लाल को सीने से लगाने की प्रथा भी कम है
लगता है अब तो दूध की बोतल में ही दम है
गांव की चौपालों से मूँछदार बुजुर्ग विलुप्त हो गए
पंचायतो के फैसले , तानाशाही के उदाहरण हो गए
हुक्के की गुड़गुड़ाहट अब कमरो में बंद हो गई
कुँओं पर बहुओं की चुगली,कुँओं के साथ बन्द हो गयी
मिलती नहीं खेल के मैदानों में कोई भीड़ अब तो
क्योंकि इन सिनेमा घरों में लंबी लाइन हो गयी।
कहां चली गई सावन के मलहारों की मधुर गूंज
अब तो हरियाली तीज की मात्र औपचारिकता रह गयी
गुटखा,पान,सुपारी में भर चली मिठास अब तो
लगता है शायद अब तो मिठाई भी कसैली हो गई।
मन खुश है कि मनुष्य,छनियाघर की बजाय लिंटर में सोता है
छनियाघर साथ गायब हुई चिड़िया मेरा ये मन रोता है
उजड़ गए पीपल और पाखड़,भाषा की गंदी शैली हो गयी
मंदिर बन गए मठिया और गंगा भी विषैली हो गयी
सूनी पड़ी हैं गौशालाएं , बेचारी बन रह गयीं गाय
दूध और पानी बिकता बोतल में, सुपरस्टार बन गयी चाय
लीटर हुआ बौना , किलो कमज़ोर और  छोटे मीटर के पैमाने हो गए
सूख गई पानी और प्यार की नदियां,अपने भी बेगाने हो गए
कृषि प्रधान देश भारत,उधर खेती से बचता युवा किसान
उजड़ती बागवानी और सूखती नहरें , तालाबों का मिटता नामोनिशान
ऐसी समझ को न समझे,ऐसा नासमझ हमारा युवा नहीं।
करे इन बीमारियों का अंत तुरन्त, ऐसी कोई घुट्टी या दबा नहीं।
धीरे धीरे इस जग में संस्कारों की जब नींव पड़ेगी
संस्कारित जीवन पर आधारित , इमारत भी भव्य बनेगी।

#अतुल कुमार शर्मा

परिचय:अतुल कुमार शर्मा की जन्मतिथि-१४ सितम्बर १९८२ और जन्म स्थान-सम्भल(उत्तरप्रदेश)हैl आपका वर्तमान निवास सम्भल शहर के शिवाजी चौक में हैl आपने ३ विषयों में एम.ए.(अंग्रेजी,शिक्षाशास्त्र,समाजशास्त्र)किया हैl साथ ही बी.एड.,विशिष्ट बी.टी.सी. और आई.जी.डी.की शिक्षा भी ली हैl निजी शाला(भवानीपुर) में आप प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैंl सामाजिक क्षेत्र में एक संस्था में कोषाध्यक्ष हैं।आपको कविता लिखने का शौक हैl कई पत्रिकाओं में आपकी कविताओं को स्थान दिया गया है। एक समाचार-पत्र द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है। उपलब्धि यही है कि,मासिक पत्रिकाओं में निरंतर लेखन प्रकाशित होता रहता हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को उजागर करना हैl 

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5 thoughts on “अम्मा की दो अंगुलियां

  1. परिवर्तन के प्रभाव को इस कविता में दर्शाने का छोटा सा प्यास किया है कृपया पसन्द आए तो शेयर अवश्य करें।

  2. प्रयास है कि आगे आपको इसी तरह की कविताओं का आनंद देता रहूं

  3. लाईक करने के लिए आप सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

  4. प्रयास है कि आगे आपको इसी तरह की कविताओं का आनंद देता रहूं

  5. प्रयास है कि आगे आपको इसी तरह की कविताओं का आनंद देता रहूं

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