दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग को 2024 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार

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दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग को वर्ष 2024 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है। यह सम्मान उनके काव्यात्मक गद्य के लिए दिया गया है। उनकी किताबों में ‘द वेजिटेरियन’, ‘द व्हाइट बुक’, ‘ह्यूमन एक्ट्स’ और ‘ग्रीक लेसन्स’ शामिल हैं। नोबेल समिति ने बृहस्पतिवार को इसकी घोषणा की। स्वीडिश अकादमी की नोबेल समिति के स्थायी सचिव मैट्स माल्म ने यहाँ इस पुरस्कार की घोषणा की।
हान कांग का जन्म 1970 में दक्षिण कोरियाई शहर ग्वांगजू में हुआ था लेकिन 9 साल की उम्र में ही वह अपने परिवार संग सियोल चली गई थीं। 53 वर्षीय हान कांग एक साहित्यिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता भी एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार हैं।

नोबेल समिति के अनुसार हान कांग के ‘गहन काव्यात्मक गद्य’ के लिए यह सम्मान दिया जाएगा, जिसमें ऐतिहासिक आघातों और मानव जीवन की नाज़ुकता को रेखांकित किया गया है।

कांग को 2016 में उनकी कृति “द वेजिटेरियन” के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। “द वेजिटेरियन” एक उपन्यास है, जिसमें एक महिला के माँस खाना बंद करने के फ़ैसले के विनाशकारी परिणाम होते हैं।

1901 से अब तक साहित्य में कुल 116 नोबेल पुरस्कार दिए जा चुके हैं। इनमें से चार पुरस्कार कई विजेताओं के बीच साझा किए गए हैं। अब तक 17 महिलाओं को यह प्रतिष्ठित साहित्य पुरस्कार मिल चुका है।
ज्ञात हो कि यह पुरस्कार स्वीडिश अकादमी द्वारा प्रदान किया जाता है और इसकी कीमत 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन ($1.1 मिलियन) है।

हान कांग ने 1993 में मुनक-गवा-साहो (साहित्य और समाज) के शीतकालीन अंक में “विंटर इन सियोल” सहित पाँच कविताएँ प्रकाशित करके एक कवि के रूप में अपनी साहित्यिक शुरुआत की। उन्होंने अगले वर्ष 1994 में “रेड एंकर” के साथ 1994 सियोल शिनमुन स्प्रिंग साहित्यिक प्रतियोगिता जीत करके एक उपन्यासकार के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद 1995 में अपना पहला लघु कहानी संग्रह “येओसु (मुन्जी पब्लिशिंग कंपनी)” शीर्षक से प्रकाशित किया। उन्होंने आर्ट्स काउंसिल कोरिया के समर्थन से 1998 में तीन महीने के लिए आयोवा विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय लेखन कार्यक्रम में भाग लिया।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।