आठ वर्षों की अनवरत यात्रा, हासिल आप

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निश्चित रूप से आप से बेहतर इस दुनिया में क्या हो सकता है! पाठक आप, लेखक आप, श्रोता आप, सहयोगी आप और आप ही हैं इस यात्रा की अर्जित कमाई।

12 नवम्बर 2016 को केवल इतना सोचकर एक वेबसाइट को शुरू की थी कि ‘हिन्दी के लोगों का उत्कृष्ट लेखन अच्छे पाठकों तक सहजता से पहुँचना चाहिए।’
बस फिर एक नई यात्रा आरम्भ हो गई और यह यात्रा देश के सबसे बड़े और मज़बूत हिन्दी आन्दोलन में परिवर्तित हो गई, ये सब आपके होने से हुआ।

कभी यह सोचा था कि हिन्दी के रचनाकारों, नवोदित लेखकों को प्रकाशन का एक डिजिटल मंच प्रदान करें, क्योंकि समय की माँग है डिजिटल उपस्थिति। कारण भी स्पष्ट है, आजकल व्यक्ति की खोज, उसके लेखन की खोज, पाठकों की खोज भी अख़बार या पत्र-पत्रिकाओं अथवा किताबों में नहीं खोजी जाती, पहली खोज गूगल यानी इंटरनेट पर की जाती है। उसी को संज्ञान में रखते हुए विचार आया था कि साहित्य और हिन्दी के रचना संसार को डिजिटल समृद्ध करने में हम भी अपना योगदान दें। आज यह योगदान 8 वर्षों का अभिनव प्रकल्प बन गया।
सोचा नहीं था कि एक सामान्य-सी वेबसाइट, जिसमें हिन्दी के लेखन को वैश्विक फ़लक पर सहज रूप से उपलब्ध करवाने की संकल्पना एक दिन आन्दोलन का आकार ले लेगी और साथ ही, सैंकड़ो स्वयंसेवियों, हज़ारों लेखकों, लाखों पाठकों की पसंद बन जाएगी किन्तु हुआ तो कुछ ऐसा ही। 11 और 12 नवंबर वर्ष 2016 के दिन एक वेबसाइट matrubhashaa.com की शुरुआत की, जिसमें हिन्दी के विभिन्न आयाम, विधाओं में लेखन एक जगह उपलब्ध करवाकर हिन्दी का पाठक परिवार स्थापित करने का उद्देश्य निहित था।
आज गर्वित हृदय से इस बात को कह सकते हैं कि एक नन्हा दीपक भी रोशनी फैलाने का कार्य बख़ूबी कर सकता है। #मातृभाषा.कॉम से #मातृभाषाउन्नयनसंस्थान की यात्रा भी कई मायनों में उत्कृष्ट हो गई। एक वेबसाइट अब आंदोलन बन गई, जिसमें हज़ारों रचनाकारों का लेखन उपलब्ध है। अब साहित्य पत्रकारिता के नए फ़लक की तैयारी आरम्भ हो चुकी है।

हिन्दीयोद्धाओं की अहर्निश हिन्दी सेवा के फलस्वरूप तीस हज़ार से ज़्यादा वेब पृष्ठों में मातृभाषा डॉट कॉम संजोया है।
मैं उन सभी अद्वितीय हिन्दी योद्धाओं को एवं उनके हिन्दी माँ के प्रति कर्त्तव्यों को नमन करता हूँ। आज उनकी आहुतियों से संचालित यह आंदोलन न केवल हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है बल्कि हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं के सम्मान को अक्षुण्ण रखते हुए शिखर कलश की स्थापना के लिए भी कार्यरत है।
मैं उन सभी हिन्दी सेवकों के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ, जिनकी स्तरीय रचनाओं से 25 लाख पाठकों का परिवार लाभान्वित हो रहा है एवं मैं उन पाठकों का भी हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ, जिनकी रुचि के चलते हिन्दी का सृजन जनमानस तक पहुँच पा रहा है।

हृदय से सभी के अवदान को नमन
आज 8 वर्ष की इस यात्रा के प्रत्येक सहयोगियों को हृदय से धन्यवाद, आगे भी आपका यही प्यार और हिन्दी के प्रति समर्पण बना रहे, इसी कामना के साथ…..
जय हिन्दी

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
संस्थापक- मातृभाषा.कॉम
www.matrubhashaa.com

मातृभाषाउन्नयनसंस्थान #मातृभाषा #Matrubhashaa

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।