मातृ दिवस पर सभी माँओं के चरणों में समर्पित……..
माँ ही प्रथम पाठशाला है।
माँ ने दुःख सहकर पाला है।।
माँ संसार की अनुपम कृति है।
माँ प्यार भरी संस्कृति है।।
माँ नूर नहीं कोहिनूर है।
माँ प्रेम से भरपूर है।।
माँ खुदा का दूजा रूप है।
मां प्यार भरा एक कूप है
माँ ममता का एक सागर है।
माँ भक्ति का एक गागर है।
माँ के बिन सृष्टि अधूरी है।
माँ से सब इच्छा पूरी है।
माँ तन-मन और है सारा।
माँ पर जीवन ही अर्पण सारा।।
मां बच्चों की प्यास है।
माँ से सबको ही आस है।
माँ घुंघरू की झंकार है।
माँ वीणा की झंकार है।।
मां बंशी की मीठी तान है।
मां गुरुदेव का ज्ञान है।।
मां ईश्वर का वरदान है।
मां आन,बान और शान है।।
माँ फूलों का मकरंद है।
मां गीत,गजल और छंद है।।
मां जग की प्रेम कहानी है।
मां के बिन दुनिया वीरानी है।।
माँ की महिमा का अंत नहीं।
माँ उजड़ा हुआ बसंत नहीं।।
माँ मीरा जैसी भक्ति है।
मां दुर्गा जैसी शक्ति है।।
माँ गीता और कुरान है।
माँ वेद और पुराण है।।
मां गंगा का ही रूप है।
माँ सृष्टि का ही स्वरुप है।।
#कृष्ण कुमार सैनी”राज”,दौसा,राजस्थान