उल्फतों में गुजरने से सच्चे दिलदार मिल जाते है,
बंद हो रास्ता तो फिर लाख मददगार मिल जाते है.
टूट जाते हैं रोज अम्बर के तारे बहुत से मगर,
रोशन करने आसमा को नए सितारे आ मिल जाते है.
किसी को मिलता है प्यार उसका या न सही,
किस्से सोनी महिवाल के सुनाने लोग आ जाते हैं.
डाली का हो फूल से प्यार कितना भी हो मगर,
रस पीने फूल पर “हर्ष” मंडराते भवरे आ ही जाते है.
उल्फतों में गुजरेने से सच्चे दिलदार मिल जाते है,
बंद हो एक रास्ता तो फिर लाख मददगार मिल जाते है.
# प्रमोद कुमार “हर्ष”