मजदूर हूँ

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keshav
हाँ!मैं एक मजदूर हूँ,
पर मैं मजबूर नही हूँ।
मैं हमेशा ही खाता हूं,
खून-पसीने की कमाई।
मैं हमेशा ही करता हूँ,
सभी लोगों की भलाई।
मुझमे थोड़ी भी शर्म नहीं,
क्योंकि मैं लाचार नहीं?
मैं एक मजदूर हूँ!मजदूर।
मेहनत कर रोटी खाता हूँ,
मिट्टी से सोना उपजाता हूँ,
और धरती माता की गोद में,
मैं चैन की नींद सो जाता हूँ।
सभी महल हमने बनाया है,
पत्थरों को हमने तरासा है,
तीखी धूप में खुद तपकर,
तन मन को भी झुलसाकर,
एक एक तिनका जोड़कर,
हरेक शीशमहल बनाया है।
मैं शत प्रतिशत मानता हूँ,
की!हमारे खुद के जीवन में,
कभी ऐशो-आराम नहीं है,
लेकिन मैं अब पूरा करता हूँ,
अमीर लोगों का हर सपना,
बहाकर खून पसीना अपना।
माना की मैं एक मजदूर हूँ,
आप सब हो महलों के राजा,
कहने को एक तुच्छ मजदूर,
पर मुझमें भी आत्मसम्मान है,
मेरा भी खूबसूरत सा जहान है,
आपके ऊपर बाँकी लगान है,
वो भी मेरे खून पसीने का है,
हमे कभी तुच्छ मत समझना,
क्योंकि हमसे ही शीशमहल है।
मैं अपने सभ्य देश का गुरूर हूँ,
हाँ!माना कि मैं एक मजदूर हूँ,
हाँ!माना कि मैं एक मजदूर हूँ।।

           #केशव कुमार मिश्रा

परिचय: युवा कवि केशव के रुप में केशव कुमार मिश्रा बिहार के सिंगिया गोठ(जिला मधुबनी)में रहते हैं। आपका दरभंगा में अस्थाई निवास है। आप पेशे से अधिवक्ता हैं।

Arpan Jain

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