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वो मुझे चाह रहे वर्षों से
पता चला ये मुझे परसों से
रुला रहे हैं जीत कर वो भी
दिया था वोट जिन्हें हर्षों से
वायदा साफ था हीरे मोती
अब वो फुसला रहे हैं सरसों से
थूक कर चाट लिया हो जिसने
कौन मुँह से लगे मुँह झरसों से
कहना पड़ता तो है बहन जी ही
प्यार बेइंतहा है नर्सों से
#दिवाकर
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