दिल कैसे फिर धड़कता गर आँख नहीं होती.
रक़ीब से भी बदतर हो जाते कभी अपने.
मालूमात कैसे होता गर आँख नहीं होती.
कितना हसीन है दिल चाक करने वाला.
एहसास कैसे होता गर आँख नहीं होती.
कुर्सी के नीचे बर्छी आखिर रखी है क्यूँ कर.
तहक़ीकात कैसे होती गर आँख नहीं होती.
मिलती औ झुकती – उठती फिर चार होती आँखें.
ये करामात कैसे होती गर आँख नहीं होती.
#सतीश मापतपुरी
परिचय : सतीश मापतपुरी की जन्मतिथि-१८ मई १९५९
तथा जन्मस्थान-ग्राम मापतपुर(जिला-कैमूर,बिहार) हैl आप
वर्तमान में पटना के रूपसपुर में रहते हैंl बिहार निवासी श्री मापतपुरी हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षित होकर सरकारी सेवा में हैंl सामाजिक क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि से आपका जुड़ाव हैl लेखन विधा-छंद,गीतिका,गीत,मुक्तक, ग़ज़ल,कहानी,पटकथा एवं संवाद हैl आपके नाम से प्रकाशन में २ उपन्यास और १ साझा काव्य संकलन हैl बात सम्मान की करें तो टेलीफिल्म `नयना` के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का डेकइया पुरस्कार,धारावाहिक `दिदिया` के लिए सर्वश्रष्ठ लेखक का पुरस्कार पाने के साथ ही कई साहित्यिक समूहों से भी सम्मानित हुए हैंl अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,लेख तथा कविता का प्रकाशन हुआ हैl उपलब्धि यही है कि,कई धारावाहिकों के लिए कहानी,गीत,पटकथा और संवाद लेखन किया है,जिनका प्रदर्शन-प्रसारण दूरदर्शन सहित चैनल पर हुआ हैl भोजपुरी फिल्मों के लिए आपके रचित गीतों को पार्श्व गायकों अनुराधा पौडवाल,कविता कृष्णमूर्ति,मधु श्री और उदित नारायण ने भी आवाज दी हैl आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी के विकास और प्रचार-प्रसार में यथासम्भव सहयोग प्रदान करना हैl