1..
बाल पणै शादी करी,भटक गया मन मीत।
पढ़बो लिखबो छूटगो, आय लपेटै रीत।।
2..
बेगा होगा टाबराँ, सेहत गई पताल़।
आय जवानी पैल हीं, हुयो जीव जंजाल़।।
3.
मात पिता न्यारा हुया, कही कमाओ खाय।
भूत भविश की सोचताँ,बर्तमान चलि जाय।।
4..
भैण भुवा का लाड़ सब,गया कुआ कै पींद।
चार दिनाँ को चानणों , बणै जिँदाड़ै बींद।।
5..
म्हे डूब्या सो भौत छै,मान मँजूरी खाय।
अब सरकारी रोक अरु,रोक समाज लगाय।।
6..
बाल ब्याह अभिशाप छै,होय समाजबिगाड़।
समय पाय शादी करो ,बाल पणै नहिँ लाड़।।
7..
सत फेरा,सातूँ वचन,कर ल्यो सत संकल्प।
बाल ब्याह नै टाल़ कर,कर द्यो काया कल्प।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः