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सत्य सरल व्रत नहि रहा,पग-पग कंटक राह,
इच्छा अरु संकल्प से,पाते निश्चित चाह
पाते निश्चित चाह,रखें नित प्रयास ज़ारी,
लक्ष्य रखें नित नैन,कल्पना हो नित भारी
होता है दुत्कार,पियें जा नित्य गरल धत,
अविचल हृदय “विराट”,बनें यह सत्य सरल व्रत॥
#श्रीमन्नारायणाचार्य ‘विराट’
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