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विरद श्याम प्यारे निभाते नहीं क्यों ?
पुकारें स्वजन किन्तु आते नहीं क्यों ?
बढ़ाते रहे चीर हो द्रौपदी की,
यहाँ रोज़ ही नारियाँ लुट रही हैं।
बिना लाज के मारते भ्रूण-कन्या,
बिना बात गायें यहाँ कट रही हैं।
तुम्हें गाय-बछड़े हमेशा से प्यारे,
उन्हें मौत से आ बचाते नहीं क्यों ?
बढ़ा जा रहा पाप का राज फिर भी,
सुरक्षित नहीं सत्य है आज फिर भी।
सदा निर्बलों को सताया है जाता,
न आती मिटाकर उन्हें लाज फिर भी।
गरुण छोड़ धाए बचाने को जग को,
विपद आज उनकी मिटाते नहीं क्यों ?
लगी है अदालत यहाँ भक्तजन की,
उमड़ बह चलीं भावनाएँ हैं मन की।
सभी दोष हैं पूछते निज कन्हैया,
रहें कब तलक झेलते पीर तन की ?
बदल तुम गए या है बदला ज़माना,
यही तथ्य आकर बताते नहीं क्यों ?
#डॉ. रंजना वर्मा
परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५ जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl
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