प्रियतम अपनी प्रेम कहानी,
लगती है कोई प्रीत पुरानी।
जनम-जनम की चाहत अपनी,
मैं हूँ तेरी प्रेम दिवानी।
तू मेरे मैं तेरे दिल में,
मिलकर हमने प्रीत निभानी।
संग में साजन तुम जो रहते,
लगती फिर है शाम सुहानी।
भूलूँ चाहे सारे जहाँ को,
नही तुम्हारी प्रीत भुलानी।
हँसते-हँसते जीवन बीते,
आने न देंगे आँख में पानी।
#संगीता शर्मा
परिचय : संगीता शर्मा मूलतः शाहगंज आगरा में रहती हैं।आप लेखन में पूरी तरह सक्रिय हैं,इसलिए लघुकथा ही नहीं,कहानी,कविता,गीत,ग़ज़ल,छंद,मुक्तक आदि में अपनी भावनाएँ दर्शाती रहती हैं। सम्मान के रुप में आपको मुक्तक मणि,सतकबीर और मानस मणि से प्रशंसित किया गया है। आपकी दो रचनाओं (‘प्यार की तलाश’-कहानी तथा ‘धूप-सी जिंदगी’-कविता) को भी सम्मान मिला है। हिन्दी के साथ ही पंजाबी में भी आपकी लघुकथाएँ प्रकाशित हुई हैं।