भाजपा की कांटों भरी राह

0 0
Read Time9 Minute, 0 Second

cropped-cropped-finaltry002-1.png

केन्द्र में सत्तारूढ़  भारतीय जनता पार्टी ने अगले साल २०१९ में होने वाले आमसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। वह पिछली बार की तरह  के लोकसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहती है। इसके लिए दल चुनावी रणनीति भी बना रहा है,लेकिन उसके लिए आम चुनाव की राह उतनी आसान नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह है भाजपा सरकार की वादा-ख़िलाफ़ी। साल २०१४ में भाजपा ने जो लोक-लुभावन नारे दिए थे,जिनके बूते पर उसने लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार की थी,अब जनता उनके बारे में सवाल करने लगी है। जनता पूछने लगी कि-कहां हैं वे अच्छे दिन जिसका इंद्रधनुषी सपना भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें दिखाया था। कहां हैं,वह १५ लाख रुपए,जिन्हें उनके खाते में डालने का वादा किया गया था। कहां है वह विदेशी काला धन,जिसके बारे में वादा किया गया था कि उसके स्वदेश में आने के बाद जनता के हालात सुधर जाएंगे।

भाजपा जिन वादों के सहारे सत्ता की सीढ़ियां चढ़ी थी,सत्ता की कुर्सी पाते ही उन्हें भूल गई और ठीक उनके उलट काम करने लगी। दल ने महंगाई कम करने का वादा किया था,लेकिन उसके शासनकाल में महंगाई आसमान छूने लगी। भाजपा ने महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अत्याचारों पर अंकुश लगाने का वादा किया था,लेकिन आए-दिन महिला शोषण के दिल दहला देने वाले कितने ही मामले सामने आ रहे हैं। भाजपा ने किसानों को राहत देने का वादा किया था, लेकिन किसानों के ख़ुदकुशी के मामले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। युवाओं को रोज़गार देने का वादा किया था,लेकिन रोज़गार देना तो दूर,नोटबंदी और जीएसटी लागू करके जो उद्योग-धंधे चल रहे थे, उन्हें भी बंद करने का काम किया है। सरकार जो भी फ़ैसले ले रही है, उनसे सिर्फ़ बड़े उद्योगपतियों को ही फ़ायदा हो रहा है। ऑक्सफ़ेम सर्वेक्षण के हवाले से कहा गया है कि,पिछले साल यानी २०१७ में भारत में सृजित कुल संपदा का ७३ फ़ीसद हिस्सा देश की एक फ़ीसद अमीर आबादी के पास है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल भी किया है।

दरअसल,एक तरफ़ केन्द्र सरकार अमीरों को तमाम सुविधाएं दे रही है,उन्हें करों में छूट दे रही है,उनके कर माफ़ कर रही है,उनके क़र्ज़ माफ़ कर रही है,दूसरी तरफ़ ग़रीब जनता पर आए दिन नए-नए कर लगाए जा रहे हैं,कभी स्वच्छता के नाम पर,तो कभी जीएसटी के नाम पर उनसे वसूली की जा रही है। खाद्यान्नों और रोज़मर्रा में काम आने वाली चीज़ों के दाम भी लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। मरीज़ों के लिए इलाज कराना भी मुश्किल हो गया है। दवाओं यहां तक कि जीवन रक्षक दवाओं और ख़ून के दाम भी बहुत ज़्यादा बढ़ा दिए गए हैं। ऐसे में ग़रीब मरीज़ कैसे अपना इलाज कराएंगे,इसकी सरकार को ज़रा भी फ़िक्र नहीं है। सरकार का सारा ध्यान जनता से कर वसूली पर ही लगा हुआ है।

 इतना ही नहीं,भाजपा ने आम चुनाव में कांग्रेस के जिस भ्रष्टाचार को,जिस घोटाले को अपने लिए प्रचार का साधन बनाया था,उन मामलों में भी अदालत में कांग्रेस पाक-साफ़ साबित हुई है।

टू जी स्पैक्ट्रम घोटाले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा और कनिमोई सहित १७ आरोपियों को सभी मामलों में बरी कर दिया। न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने अपने फ़ैसले में लिखा है-`मैं ये भी बता दूं कि बीते सात साल से हर दिन- गर्मी की छुट्टियों सहित,मैं सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक पूरी निष्ठा से खुली अदालत में बैठता था और इंतज़ार करता था कि कोई आए और अपने पास से कोई ऐसा सबूत दे जो क़ानूनी तौर पर मंज़ूर हो,लेकिन सब बेकार रहा। एक भी शख़्स सामने नहीं आया। इससे पता चलता है कि हर कोई अफ़वाहों,अनुमानों और गपशप से बनी आम राय के हिसाब से चल रहा था,लेकिन न्यायिक कार्यवाही में लोगों की इस राय की जगह नहीं है`।

इस फ़ैसले से यह साबित हो गया कि टू जी स्पैक्ट्रम घोटाला पूरी तरह से काल्पनिक और मनगढ़ंत था। कांग्रेस को बदनाम करके अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बड़े लोगों को आरोपी बनाया गया था। यह फ़ैसला संयुक्त प्रगतिशाल गठबंधन के लिए राहत का सबब बना,लेकिन वर्तमान केन्द्र सरकार और केन्द्रीय जांच ब्यूरो कठघरे में ज़रूर खड़े हो गए हैं। अल्पसंख्यकों और दलितों पर हो रहे लगातार हमलों को लेकर भी केन्द्र की मोदी सरकार पहले से ही सवालों के घेरे में है।

हालांकि कुछ समय पहले हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है। इसने जहां गुजरात में अपनी सत्ता बचाई,वहीं हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस से सत्ता छीनी। इस साल देश के आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं,जिनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान,कर्नाटक,छत्तीसगढ़,त्रिपुरा,मेघालय,मिज़ोरम और नागालैंड शामिल हैं। हालांकि,भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त है कि इन विधानसभा चुनावों में भी वह अच्छा प्रदर्शन करेगी,लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बहुत फ़र्क़ है। विधानसभा चुनाव जहां क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर लड़े जाते हैं,वहीं लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे छाए रहते हैं। दल के सांसद इस बात को लेकर परेशान हैं कि,वे चुनावों में जनता को क्या मुंह दिखाएंगे। जनता जब उनसे सवाल पूछेगी,तो सिवाय बग़ले झांकने के वे कुछ नहीं कर पाएंगे।

फ़िलहाल भाजपा अपना जनाधार बढ़ाने पर ख़ासा ध्यान दे रही है। उसने `मिलेनियम वोटर कैम्पेन` नामक एक मुहिम शुरू की है। इस मुहिम में उन दो करोड़ युवाओं को शामिल करने की कोशिश की जाएगी,जो साल २०१९ में पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इन युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए सोशल मीडिया की मदद ली जाएगी। पिछले लोकसभा चुनाव में भी दल ने ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को जोड़ा था और उसे युवाओं का समर्थन भी मिला था। क़ाबिले-ग़ौर है कि ’मन की बात’ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नए मतदाताओं पर ज़ोर देते हुए कहा था-`हम लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए इक्कीसवीं सदी में पैदा हुए लोगों का स्वागत करते हैं,क्योंकि वे योग्य मतदाता बन जाएंगे। उनका वोट ‘नए भारत का आधार’ बन जाएगा`।

बहरहाल,भाजपा अपनी कोशिश में कितनी कामयाब हो पाती है,यह तो आने वाला वक़्त बताएगा,लेकिन इतना ज़रूर है कि उसकी राह कांटों भरी होगी,जो उसने अपनी राह में ख़ुद बोए हैं।

                             #फ़िरदौस ख़ान

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

यह स्थिति अपने-आप में बेहद दुखद।

Mon Feb 5 , 2018
हिंदी पटकथा लेखकों की इस प्रतियोगिता में जिसके निर्णायक मंडल में हिंदी फिल्मों के बड़े नाम जुड़े हुए हैं आमिर खान सहित रोमन लिपि की लगाई गई शर्त प्रतिभागियों के लिए,हिंदी के लिए और भाषा मात्र के लिए अपमानजनक है और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह अवैध या असंवैधानिक तो नहीं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।