चाँद-सा ये रूप…

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satish mapatpuri
आपको जो देख ले वो देखता ही रह जाए,
लाखों और करोड़ों में चाँद-सा ये रूप है
आपको बनाने वाला आप ही हैरान-सा है,
कौन-सी घड़ी में बनी सूरत अनूप है।
सूरज भी शरमाए देख तेज चेहरे की,
आप आएं छाँव में तो खिल जाती धूप है।
फुरसत में आपको ही गढ़ा है विधाता ने,
आपके तो सामने आ परी भी कुरूप है।

आप मुसकुराती तो कली जवान होती है,
भँवरा कुँआरा फूलों में सिमट जाता है
डोलता ईमान है अंगड़ाई लेती आप जो,
पवन बेशर्म पतों से लिपट जाता है।
रात को न जलवा दिखाया करें चाँद को जी,
लाज से बेचारा गगन से हट जाता है।
बेवजह न निकलें पता नहीं है आपको,
कितने रसिक का जी वक़्त कट जाता है।

#सतीश मापतपुरी

परिचय : सतीश मापतपुरी की जन्मतिथि-१८ मई १९५९
तथा जन्मस्थान-ग्राम मापतपुर(जिला-कैमूर,बिहार) हैl आप 
वर्तमान में पटना के रूपसपुर में रहते हैंl बिहार निवासी श्री मापतपुरी हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षित होकर सरकारी सेवा में हैंl सामाजिक क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि से आपका जुड़ाव हैl लेखन विधा-छंद,गीतिका,गीत,मुक्तक, ग़ज़ल,कहानी,पटकथा एवं संवाद हैl आपके नाम से प्रकाशन में २ उपन्यास और १ साझा काव्य संकलन हैl बात सम्मान की करें तो टेलीफिल्म `नयना` के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का डेकइया पुरस्कार,धारावाहिक `दिदिया` के लिए सर्वश्रष्ठ लेखक का पुरस्कार पाने के साथ ही कई साहित्यिक समूहों से भी सम्मानित हुए हैंl अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,लेख तथा कविता का प्रकाशन हुआ हैl उपलब्धि यही है कि,कई धारावाहिकों के लिए कहानी,गीत,पटकथा और संवाद लेखन किया है,जिनका प्रदर्शन-प्रसारण दूरदर्शन सहित चैनल पर हुआ हैl भोजपुरी फिल्मों के लिए आपके रचित गीतों को पार्श्व गायकों अनुराधा पौडवाल,कविता कृष्णमूर्ति,मधु श्री और उदित नारायण ने भी आवाज दी हैl आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी के विकास और प्रचार-प्रसार में यथासम्भव सहयोग प्रदान करना हैl

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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