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यारों मना रहे हैं हम सब सबसे बड़ा त्योहार,
आज के दिन ही मिला था हमको सबसे बड़ा उपहार।
अंग्रेजों की हार हुई थी,मिला था हर्ष अपार,
छब्बीस जनवरी का दिन है,सबसे बड़ा त्योहार।
यारों मना रहे हैं हम सब सबसे बड़ा त्यौहार॥
मना रहे हम सब मिलकर,ये अपना गणतंत्र,
संविधान लागू हुआ था,जब हम हुए स्वतंत्र।
संविधान लागू हुआ तो आई ख़ुशी अपार,
तभी तो हम सब मना रहे हैं,सबसे बड़ा त्यौहार।
आज के दिन ही मिला था हमको…॥
संविधान की करेंगे रक्षा,हाथ मिलाएं यार,
जब तक जिंदा संविधान है,देश सुरक्षित यार।
गणतंत्र और आजादी के,पर्व पवित्र हैं यार,
ये ही दो अवसर हैं यारों राष्ट्र के त्यौहार।
आज के दिन ही मिला था हमको…॥
#डॉ. विष्णुकान्त अशोक
परिचय: डॉ. विष्णुकान्त अशोक की जन्मतिथि-१० जुलाई १९७० एवं जन्म स्थान-हाथरस(उ.प्र.)है। आपका निवास उत्तर प्रदेश के शहर-हाथरस में ही है। शिक्षा-एमए के साथ ही पीएचडी (अंग्रेजी) है,जबकि कार्यक्षेत्र-वाराणसी, देवरिया,हाथरस है। सामाजिक क्षेत्र-जनपद हाथरस है। आपने मिश्रित विधा अपनाई हुई है। नई दिल्ली से एक प्रकाशन ने आपकी किताब छापी है। आपके लेखन का उद्देश्य-देशभक्ति की भावना जिंदा रखना,सामाजिक भेदभाव पर प्रहार,जातिवाद का जहर कम करना,इंसानियत का प्रसार,स्वस्थ्य मनोरंजन, नई सोच पैदा करना,चीजों- घटनाओं को सही और अलग नजरिए से देखना और दिखाना है। साथ ही भारत को सबसे अच्छा और सबसे श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने में प्रयास करना है।
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