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गोरे-गोरे गाल में,काले-काले बाल में,
मदमाती चाल में आ गया बसंत है।
चंचल से नैन में,मादक से बेन में,
गदराई देह में आ गया बसंत है।
प्रेम के संदेश में साजन के देश में,
नए परिवेश में आ गया बसंत है।
अँगना मा खड़ी गोरी ईलू-ईलू बोल रही,
उसके लबों में भी आ गया बसंत है॥
#सुदामा दुबे
परिचय : सुदामा दुबे की शिक्षा एमए(राजनीति शास्त्र)है।आप सहायक अध्यापक हैं और सीहोर(म.प्र)जिले के बाबरी (तहसील रेहटी)में निवास है। आप बतौर कवि काव्य पाठ भी करते हैं।
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