खिलाएँ पुष्प हम,
शुद्ध आचरण के।
महक उठे कण-कण,
आज वातावरण के।
हिंसा और भ्रष्टाचार का,
बाजार गर्म हो रहा।
छल-कपट,फरेब का,
तांडव नृत्य हो रहा।
मिटाएं घृणा,द्वेष,
झूठ आवरण के।
सत्य,प्रेम,दयाभाव,
सब कहाँ लुप्त हो गए।
वेद,पुराण,उपनिषद,
न जाने कहां खो गए।
धर्म ही साथ रहे बस,
उपरान्त मरण केl
सभ्यता के आंगन में,
मानवता सिसक रही।
नर निशाचर हो रहे,
दनुजता किलक रही।
चमक उठे फिर कटार,
अब नृत्य हेतु रण के।
कर्तव्य सत्य,त्याग भाव,
नव पुष्ष हम खिलाएंl
निस्वार्थ निष्काम भाव,
निज कार्य हम सजाएं।
गीत गाएं आज पुनः,
हम नव जागरण केll
#आशा जाकड़
परिचय: लेखिका आशा जाकड़ शिकोहाबाद से ताल्लुक रखती हैं और कार्यक्षेत्र इन्दौर(म.प्र.)है। बतौर लेखिका आपको प्रादेशिक सरल अलंकरण,माहेश्वरी सम्मान रंजन कलश सहित साहित्य मणि श्री(बालाघाट),कृति कुसुम सम्मान इन्दौर,शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान(उज्जैन),श्री महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान(शिलांग) और साहित्य रत्न सम्मान(जबलपुर)आदि मिले हैं। जन्म१९५१ में शिकोहाबाद (यू.पी.)में हुआ और एमए (समाजशास्त्र,हिन्दी)सहित बीएड भी किया है। 28 वर्ष तक इन्दौर में आपने अध्यापन कराया है। सेवानिवृत्ति के बाद काव्य संग्रह ‘राष्ट्र को नमन’, कहानी संग्रह ‘अनुत्तरित प्रश्न’ और ‘नए पंखों की उड़ान’ आपके नाम है।
बचपन से ही गीत,कविता,नाटक, कहानियां,गजल आदि के लेखन में आप सक्रिय हैं तो,काव्य गोष्ठियों और आकाशवाणी से भी पाठ करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हैं।