Read Time8 Minute, 17 Second
लोकसभा चुनाव के परिणाम आ गए है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आ गए है।कांग्रेस व गठबंधन सत्ता पाने में कारगर नही हो पाया।ये दोनों ही बहुमत से कोसो दूर रहे।इसका कारण देश मे जहां धर्म राजनीति हावी रही वही जातीय समीकरणों को वोटरों ने नकारा है।यह देश का पहला ऐसा चुनाव है जिसमे प्रधानमंत्री ने अपने सांसद जितवाकर खुद ही अपना बहुमत प्राप्त किया अन्यथा अभी तक देश की जनता अपना सांसद चुनने के लिए प्रत्याशियों में में कौन उनके भले की बात करेगा,उसे चुनकर वोट करती आई है और फिर चुने गए सांसद जिनकी संख्या अधिक होती है वे अपना नेता चुनकर प्रधानमंत्री का चयन करते रहे है।परंतु इस बार ऐसा नही हुआ ।भले ही लोकसभा प्रत्याशी जनता की पसंद का न हो और उसमें लाख बुराई हो किन्तु यदि वह भाजपा टिकट से चुनाव मैदान में है तो मोदी के नाम पर उसे वोट देकर संसद भेजा गया है।हालांकि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ऐसा होना अच्छा नही है।वही इस चुनाव में आमजनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मोहन का शिकार भी हुई है।लोगो ने मोदी के नाम पर वोट देने के लिए अच्छा बुरा सोचना ही छोड़ दिया।आम जनता याद दिलाने पर भी नोट बन्दी के दुखों को भूल गई।किसान तंगहाली में की गई आत्म हत्याओं को भूल गए,बेरोजगारी चुनावी मुद्दा तक नही बन पाया।लोगो ने यह सवाल उठाना भी जरूरी नही समझा कि उनके खाते में 15 -15 लाख रूपये क्यो नही आये,राम मंदिर वायदे के अनुरूप अभी तक क्यो नही बना,धारा 370 अभी तक 2014 के चुनाव घोषणा पत्र के अनुपालन में समाप्त क्यो नही हुई।महिलाओं को उनका हक,भयमुक्त समाज व भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन अभी तक क्यो नही हो पाया?ये सारे सवाल मोदी के सम्मोहन में दबकर रह गए।हालांकि कांग्रेस व बसपा ,सपा ,तृणमूल कांग्रेस व राष्ट्र वादी कांग्रेस समेत अन्य यूपीए से जुड़े दल आम लोगो को मोदी सरकार की नाकामी समझाने में क्यो नाकाम रहे।जिस प्रकार भाजपा में अकेले मोदी या फिर उनकी पार्टी के अध्यक्ष ही भाजपा के लिए खेवनहार बने थे उसी प्रकार कांग्रेस में भी राहुल गांधी व उनकी बहन प्रियंका गांधी के कंधों पर पूरा चुनाव प्रचार का भार टिका था।बाकी नेता या तो असरदार नही थे या फिर वे अपना समय नही दे पाए।साथ ही इस चुनाव में जमीनी स्तर के नेताओं को साथ लेकर भी नही चला गया।ज्यादा तर जनसभाओं में हवाई नेता मंचो पर कब्जा जमाए रहे और जिनके प्रयासों से वोट मिलती उन्हें पास तक फटकने नही दिया गया।अधिकांश कार्यकर्ताओ को चुनाव प्रचार में उपयोग भी नही किया गया।आम वोटरों तक पहुंचने में भी पार्टी कार्यकर्ता व प्रत्याशी नाकाम रहे।ऐसे में देश मे कांग्रेस का फिर से विपक्ष में बैठना उन कांग्रेसियो को जरूर अखरेगा जो कांग्रेस को सत्ता में देखना चाहते थे।उत्तराखंड समेत अनेक राज्यो में कांग्रेस को मिली हार को लेकर विचार मंथन जरूरी है।यह भी जरूरी है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए हाईकमान के दरवाजे खुले रहे तभी जमीनी हकीकत से हाईकमान रूबरू हो सकता है।टिकट आवंटन के समय पार्टी के प्रति सेवादारों को तरजीह मिले तो काफी कुछ ठीक हो सकता है।इस चुनाव के परिणाम मौजूदा जैसे न होते यदि गैर भाजपाई दल धर्मनिरपेक्ष ताकत के साथ एकजुटता के साथ चुनाव मैदान में उतरते।सपा व बसपा ने कांग्रेस से गठबन्धन न करके अपना व कांग्रेस का भारी नुकसान किया है जिसका फायदा भाजपा उठा ले गई और वह फिर से सत्ता रूढ़ हो गई।
चुनाव
एक पीएम ने बना दिये
सांसद ऐसे तमाम
जिनको लेकर थी जनता
इलाके में अनजान
जो पांच साल नजर न आये
उनको भी मिल गया मेंडेट
वाह मोदी जी मान गए
तुम्हारा मैजिक अपडेट
ईवीएम भी तुम्हारी
लगती गजब पिटारा
हर चुनाव में बन रही
तुम्हारी जीत का सहारा
विपक्ष की कर दी तुमने
फिर से बोलती बंद
अब चाहे जो करो
पांच साल को स्वछंद।
#श्रीगोपाल नारसन
परिचय: गोपाल नारसन की जन्मतिथि-२८ मई १९६४ हैl आपका निवास जनपद हरिद्वार(उत्तराखंड राज्य) स्थित गणेशपुर रुड़की के गीतांजलि विहार में हैl आपने कला व विधि में स्नातक के साथ ही पत्रकारिता की शिक्षा भी ली है,तो डिप्लोमा,विद्या वाचस्पति मानद सहित विद्यासागर मानद भी हासिल है। वकालत आपका व्यवसाय है और राज्य उपभोक्ता आयोग से जुड़े हुए हैंl लेखन के चलते आपकी हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें १२-नया विकास,चैक पोस्ट, मीडिया को फांसी दो,प्रवास और तिनका-तिनका संघर्ष आदि हैंl कुछ किताबें प्रकाशन की प्रक्रिया में हैंl सेवाकार्य में ख़ास तौर से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए २५ वर्ष से उपभोक्ता जागरूकता अभियान जारी है,जिसके तहत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विधिक सेवा प्राधिकरण के शिविरों में निःशुल्क रूप से उपभोक्ता कानून की जानकारी देते हैंl आपने चरित्र निर्माण शिविरों का वर्षों तक संचालन किया है तो,पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वास के विरूद्ध लेखन के साथ-साथ साक्षरता,शिक्षा व समग्र विकास का चिंतन लेखन भी जारी हैl राज्य स्तर पर मास्टर खिलाड़ी के रुप में पैदल चाल में २००३ में स्वर्ण पदक विजेता,दौड़ में कांस्य पदक तथा नेशनल मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप सहित नेशनल स्वीमिंग चैम्पियनशिप में भी भागीदारी रही है। श्री नारसन को सम्मान के रूप में राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ.आम्बेडकर नेशनल फैलोशिप,प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान के साथ भी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर(बिहार) द्वारा भारत गौरव
Post Views:
436
Fri May 24 , 2019
किसी के निगाहों की तानाशाही तो नहीं ज़माना आदतन जिसे मोहब्बत कहता है सही कहने को कहे और सही कह दें गर फिर तो बुरी है हमारी शोहबत कहता है अपने चाँद को देखा न आसमाँ के चाँद को ऐसी होती है ईद कौन सी इबादत कहता है किसी की […]