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हिंदी दिवस पर विशेष……
नए बोल सिखाती है,मुझे ज्ञान कराती है।
ए माँ भाषा तू ही मुझे सम्मान दिलाती है॥
नए बोल सिखाती है ……..
भारत का है गौरव तू,चमकी बन भानु प्रभा।
जन-जन की है सौरभ तू,महकी हर दिशा दिशा।
भारत-सुत में तू ही नया स्वाभिमान जगाती है॥
नए बोल सिखाती है ……
अ से अज्ञानी जन को,तू ज्ञ से ज्ञान कराए।
भ से भारत का जग में,तू ध से ध्वज फहराए।
वर्णमाला ये तेरी नव-नव गीत बनाती है॥
नए बोल सिखाती है …..
संस्कृति में तूने लिया जन्म,जन-जन ने तुझे खिलाया।
मैथिली बने संरक्षक तेरे,भारतेंदु ने जीना सिखाया।
देवी सुभद्रा,प्रेम निराला तू कब से बनाती है॥
नए बोल सिखाती है ….
(महादेवी वर्मा ,सुभद्रा कु.चौहान ,प्रेमचन्द ,सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला )
‘खड़ी बोली’ तू बनकर पनपी,अब व्यापकता ही पाए।
तेरे इस इतिहास को शुक्ल जन-जन तक ही पहुँचाए।
सरलता ही तेरी हमें अति सफल बनाती है॥
नए बोल सिखाती है ..,,
सखी नागरी संग में लेकर,लिपि तूने अपनी बनाई।
ध्वनि रूप प्रमाणित करके,वैज्ञानिकता सिद्ध कराई।
जो जैसा बोला,वैसा ही तू लिखना सिखाती है॥
नए बोल सिखाती है …..
अंग्रेजी भाषी मन को भी,अब भाने लगी है तू भी।
भारत-सीमा को पार कर,जग जाने लगी है तू भी।
गुरु टैगोर का बन आशीष तू श्रद्धा जगाती है॥
नए बोल सिखाती है ……
लिखूँ,बोलूं,तुझको ही गाऊँ,सीखूं तुझसे ही जीना सिखाऊँ।
भले कुछ भी पढूं-पढ़ाऊँ, बस तेरा ही वन्दन चाहूँ।
सबको तू ही तो इक कवि बनाती है॥
नए बोल सिखाती है,मुझे ज्ञान कराती है।
ए माँ भाषा तू ही मुझे सम्मान दिलाती है॥
#दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।
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