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मेरी चाहत में नहीं कोई और है,
मेरी जिंदगी में वही सिरमौर है।
काफ़िर हूँ चलता रहूंगा काम है,
जिंदगी में अपना नहीं ठौर है।
चिराग को सम्भालना मेरे कान्हा,
बुझाने वाले यहां चारों ओर है।
हर शब्द लिखा है सिर्फ उनके लिए,
उनको मेरे शब्दों पर नहीं गौर है।
वो जमाना गया मीरा का राधा का,
‘आदर्श’ अब ये नफरतों का दौर है॥
#आदर्श जायसवाल
परिचय: आदर्श जायसवाल का जन्म १४ जुलाई १९९६ को प्रतापगढ़ के बिहारगंज में हुआ है। आप उत्तर प्रदेश के शहर प्रतापगढ़ में ही रहते हैं। वर्तमान में बी.ए. के छात्र होकर सामाजिक क्षेत्र में अपने समाज के मीडिया प्रभारी हैं। विधा-कविता है। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनके लेखन का उद्देश्य अच्छा कवि बनकर समाज को जागरुक करना है।
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Superb.. Adarsh bhai.. Best of luck