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मध्यप्रदेश में एक तरफ जहां विभिन्न यात्राओं के बहाने शिवराजसिंह चौहान ने अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की रणनीति चला रखी है,वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय नेतृत्व भी मध्यप्रदेश में सरकार से नाराज पाटीदार समाज को अपने से जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहा है। अभी जो आनंदीबेन पटेल के रूप में राज्यपाल की नियुक्ति की गई है वह भी इसी का हिस्सा है। वे पाटीदार समाज से ही आती हैं। यही नहीं,आनंदीबेन का गुजरात के रास्ते उज्जैन होते हुए भोपाल तक चार्टर बस से जाना भी भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने वाले रोड-शो के रूप में देखा जा रहा है। संविधान की शपथ लेने के बाद राज्यपाल किसी दल,किसी समाज के प्रति झुकाव नहीं रखते हैं। इस संवैधानिक मर्यादा को जानते-समझते हुए ही शपथ से पहले रोड-शो कर लिया और सफर मार्ग में भाजपाइयों ने उत्साह से स्वागत भी कर दिया।
मध्यप्रदेश के राजनीतिक इतिहास में वह पहली ऐसी महिला राज्यपाल बन गई हैं जो मप्र की सीमा से रोड-शो करते हुए पदभार ग्रहण करने भोपाल पहुंची। अपने इस रोड-शो में झाबुआ से लेकर उज्जैन और भोपाल के बीच में वह सारे जिले लगभग शामिल कर लिए गए,जो गत वर्ष हुए किसान आंदोलन में सर्वाधिक उत्तेजित जिलों के रूप में चिन्हित किए गए हैं। पदभार ग्रहण से पूर्व उनका महाकाल दर्शन को जाना उनकी महाकाल के प्रति आस्था दर्शाता है लेकिन कांग्रेस मान रही है कि यह भी पूर्व नियोजित योजना का हिस्सा था।
गत वर्ष भड़के किसान आंदोलन में जिन बाहरी नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही,उनमें हार्दिक पटेल का नाम चर्चित है। स्थिति यह भी बनी थी कि,मध्यप्रदेश में हार्दिक पटेल के प्रवेश को लेकर भी सरकार चौकन्नी रही थी। हार्दिक पटेल का पाटीदारों में प्रभाव है और मध्यप्रदेश के जिन जिलों में किसान आंदोलन भड़का,वहां भी पाटीदारों का गुस्सा चिन्हित किया गया था। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार्दिक पटेल को फायर ब्रांड नेता के रूप में आम सभाओं में मंच उपलब्ध कराएगी, यह तय है। पाटीदारों के वोट बैंक में हार्दिक पटेल सेंध लगाएं,उससे पहले ही राज्यपाल के रूप में आनंदीबेन पटेल की नियुक्ति केंद्र ने की है। उनकी मध्यप्रदेश में नियुक्ति इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि, खुद आनंदीबेन पटेल भी पाटीदार समाज से आती हैं। उन्हें सम्मानजनक पद देकर केंद्र ने जहां गुजरात के पाटीदारों को साधने की कोशिश की है वहीं मध्यप्रदेश के पाटीदारों में भी फिर से यह विश्वास जगाने की शुरूआत है कि सरकार पाटीदारों के मान-सम्मान का ख्याल रखती है। सनद रहे कि,गुजरात में जिस तरह से मुख्यमंत्री पद से आनंदीबेन पटेल को हटाया गया था उसके बाद से वहां का पाटीदार समाज केंद्र सरकार से नाराज चल रहा था जिसका असर हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पाटीदार बहुल विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ हुए मतदान के रूप में देखने को भी मिला था।
आनंदीबेन पटेल खुद पाटीदार हैं और किसान आंदोलन जो भड़का था,उसमें पाटीदार समाज की मुख्य भूमिका रही है गुजरात में यदि हार्दिक पटेल पाटीदारों का नेतृत्व करके भाजपा के लिए परेशानी खड़ी करने वाले प्रमुख कारणों में रहे हैं तो मध्यप्रदेश में आनंदीबेन पटेल को राज्यपाल बनाकर भाजपा ने इस प्रदेश के सरकार से नाराज किसान पाटीदारों को साधने की कोशिश की है। खास बात यह भी कि,आनंदीबेन पटेल मध्यप्रदेश की राज्यपाल बनाई गई हैं तो उसमें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है।
#कीर्ति राणा
परिचय:कीर्ति राणा,मप्र के वरिष्ठ पत्रकार के रुप में परिचित नाम है। प्रसिद्ध दैनिक अखबारों के विभिन्न संस्करणों में आप इंदौर, भोपाल,रायपुर,उज्जैन संस्करणों के शुरुआती सम्पादक रह चुके हैं। पत्रकारिता में आपका सफ़र इंदौर-उज्जैन से श्री गंगानगर और कश्मीर तक का है। अनूठी ख़बरें और कविताएँ आपकी लेखनी का सशक्त पक्ष है। वर्तमान में एक डॉट कॉम,एक दैनिक पत्र और मासिक पत्रिका के भी सम्पादक हैं।
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भाई साहब कमाल के लेखक हैं आप