नेताओं की जिंदगी, जबसे मस्त हो गई ,
चीजें बहुत महंगी, जिंदगी सस्ती हो गई।
कहता था जो मसीहा,लाएगा अच्छे दिन,
विदेश यात्रा पूरी उसकी एक साल हो गई।
खुलेआम घूमते हैं बदमाश,इस शहर में,
बस्ती अब शरीफों की सुनसान हो गई।
शहीद पर न बहे होंगे,नेताओं के इतने आंसू,
किसान की मौत पर जितनी नौटंकी हो गई।
कहां से आएगी,उस बाप की आंखों में नींद,
जिसकी मासूम बच्ची आज भी भूखी सो गई।
परिचय : इंदौर(मध्यप्रदेश) के परदेशीपुरा क्षेत्र में रविंद्र नारोलिया रहते हैं। आपका व्यवसाय ग्राफिक्स का है और दैनिक अखबार में भी ग्राफिक्स डिज़ाइनर के रुप में ही कार्यरत हैं। 1971 में जन्मे रविंद्र जी कॊ लेखन के गुण विरासत में मिले हैं,क्योंकि पिता (स्व.)पन्नालाल नारोलिया प्रसिद्ध कथाकार रहे हैं। आप रिश्तों और मौजूदा हालातों पर अच्छी कलम चलाते हैं।
Great, and it’s really true because honesty is lost in this world so I it’s good try……..
बहुत बढ़िया
Very motivational & awakening lines, too good