दर्द जवानों का

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jatin shukl
सोते रहे हमेशा है कमान जिनके हाथों
हालात सरहदों के न हमें सोने देते,
बांधा है बेड़ियों ने मजबूर हम पड़े हैं
मिलती जो इजाजत साथी न खोने देते।
आखिर क्यों खड़े हम यूं ही बंदिशों में
मारने को उनको हो अधिकार में हमारे,
उठते रहे जनाजे वीरों के टोलियों से
बेखौफ वो पड़े हैं दरबार में हमारे॥
कब तक यूं चलेगा लाशों का आना-जाना
करते रहेंगें निंदा आवारगी बता के,
मुल्क मांगता क्या देखो तो गौर करके
लिपटा हुआ तिरंगा जाता नाराजगी जता के।
बदलो रिवाज सारे वो दिन बदल गए अब
कुछ लोग मेरे अपने परिवार में हमारे,
उठते रहे जनाजे वीरों के टोलियों से
बेखौफ वो पड़े हैं दरबार में हमारे॥
करते रहे सियासत वीरों की अर्थियों पर
लाचार मां के आंसू आकर न कोई पोंछे,
भूल के हैं बैठे गुजरी तमाम बातें
बापू का बुढ़ापा कैसे कटे न सोचें।
रोएगा हिन्द सारा हर आंख नम है होती
निकले न उनके आंसू जो सरकार में हमारे,
उठते रहे जनाजे वीरों के टोलियों से
बेखौफ वो पड़े हैं दरबार में हमारे॥
मुस्तैद जब सिपाही सीमा के प्रहरी बनकर
खामोश क्यों हुकूमत आवाज क्यों थमी है,
नासूर बन रहे हैं दिए दुश्मन के जख्म सारे
‘जतिन’ लिख रहा उसकी आंखों में नमी है,
बुझदिली के किस्से कबसे छप रहे हैं
कब वीरता छपेगी अखबार में हमारे।
उठते रहे जनाजे वीरों के टोलियों से
बेखौफ वो पड़े हैं दरबार में हमारे॥
#जतिन शुक्ल ‘फ़ैज़ाबादी’
परिचय :  जतिन शुक्ल का साहित्यिक उपनाम-कवि जतिन फैजाबादी है। आपकी जन्मतिथि-२६ जनवरी १९९८
एवं जन्म स्थान-फैजाबाद है। में वर्तमान मिल्कीपुर(फैजाबाद-उत्तर प्रदेश) में रहते हैं। इनकी शिक्षा-बीए(जारी)है। आपको  वन्दे मातरम सम्मान प्राप्त हुआ है। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक स्तर पर जागृति फैलाना है। 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।