ज्ञान का दीप जलाओ तो..

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naveen mani
जहर कुछ जात का लाओ तो कोई बात बने।
आग  मजहब  से लगाओ  तो कोई बात बने॥
देश की शाख़ मिटाओ तो कोई बात बने।
फ़स्ल नफ़रत की उगाओ तो कोई बात बने॥
सख़्त लहजे में अभी बात न कीजै उनसे।
मोम पत्थर को बनाओ तो कोई बात बने॥
अब तो गद्दार सिपाही की विजय पर यारों।
याद में जश्न मनाओ तो कोई बात बने॥
जात के नाम अभी तीर बहुत तरकश में।
अमन को और मिटाओ तो कोई बात  बने॥
बस सियासत में अटक जाए न वो बिल वाजिब।
शोर संसद में मचाओ तो कोई बात बने॥
इस तरह फर्ज निभाने की जरूरत क्या है।
साथ ता-उम्र निभाओ तो कोई बात बने॥
रस्म करते हो अदा खूब ज़माने भर की।
हाथ दिल से जो मिलाओ,तो कोई बात बने॥
जिंदगी कर्ज चुकाने में गुज़र जाती है।
चैन कुछ ढूंढ के लाओ तो कोई बात बने॥
कर गई तुझको जो मशहूर मुक़द्दर बनकर।
वो ग़ज़ल आज सुनाओ तो कोई बात बने॥
घर जलाना तो बड़ी बात नहीं है साहिब।
एक घर अपना बनाओ तो कोई बात बने॥
यूँ दिवाली के चिरागों से भला क्या होगा।
ज्ञान का दीप जलाओ तो कोई बात बने॥

                  #नवीन मणि त्रिपाठी

परिचय : नवीन मणि त्रिपाठी कानपुर(उत्तरप्रदेश)के अर्मापुर रियासत में रहते हैंl आपका जन्म १९७५ का हैl 

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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