होली तेरे रंग हजार,
खेलें सब बेशुमार।
भांति-भांति के लोग,
खेलें संग रंग गुलाल।
मिला देती सबको,
अपने रंग में आने से।
राग-द्वेष भुलाकर,
खेलें होली सभी।
जीवन रंगों से भर
देती है होली।
कितनी रंगीली है
तू ए होली।
#नेहा लिम्बोदिया
परिचय : इंदौर निवासी नेहा लिम्बोदिया की शिक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में हुई है और ये शौक से लम्बे समय से लेखन में लगी हैं। कविताएँ लिखना इनका हुनर है,इसलिए जनवादी लेखक संघ से जुड़कर सचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। इनकी अभिनय में विशेष रुचि है तो,थिएटर भी करती रहती हैं।
bahut badhiya ,holi ki shubh kamnaye