एक सजल…

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kailash Singhal
देखो कोहरा छाया है।
प्रेम सन्देसा आया है॥
धुंध छाई मन आंगन।
तन भी तो भरमाया है॥
तुम आओ तो बात बने
कुहासा क्यों सजाया है॥
ये मौसम क्यूँ सुहाना है।
घूँघट में कौन शर्माया है॥
खामोशी में ये कैसा शोर।
शायद दिल चटकाया है॥
रातों की अब क्या तलब।
चाँद दिन में जगमगाया है॥
सज़ल का वो प्यासा आंसू।
‘केसू’ की आंख से आया है॥

#कैलाश बिहारी सिंघल ‘केसू’

परिचय: कैलाशचंद्र सिंघल का नाता मध्यप्रदेश से हैl आपकी जन्म तारीख- २० दिसम्बर १९५६ और जन्मस्थान-धामनोद(धार) हैl हायर सेकन्डरी तक शिक्षित श्री सिंघल का व्यवसाय(कॉटन ब्रोकर्स)हैl आप धामनोद में समाज की संस्थाओं से जुड़े हुए हैंl लेखन में आपकी विधा-हाइकु,तांका, गीत और पिरामिड हैl भोपाल से प्रकाशित समाचार-पत्र में कुछ रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। पिछले 30 वर्ष से लेखन में मगन श्री सिंघल की खासियत यह है कि,कवि सम्मेलनों का सफल आयोजन करते हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय और दिवंगत कवियों की रचनाओं को मंचों पर सस्वर उनके नाम से प्रस्तुत करना है,जिसका पारिश्रमिक नहीं लेते हैं।

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