आया खुशियों का त्योहार,
रक्षाबंधन का त्यौहार।
भाई बहनों का त्यौहार,
ये पावन है त्यौहार।
था कब से इंतजार,
हर पल लगते थे हजार,
गिन गिन महीने दिन और रात,
किया था मैंने इंतजार।
मैं तो कब से हूं तैयार,
पीहर जाने को बेकरार।
दिल मेरा करे पुकार,
अाई खुशियों की बाहर।
वो बचपन की यादें हज़ार,
भाई बहनों कि तकरार।
वो शिकायतों के अंबार,
वो तकियों के प्रहार।
वो मां बाबूजी की पुकार,
खेल खिलौनों की बाज़ार।
मां के पकवानों की बहार,
सताएं यादें ये हरबार।
जाकर पीहर में इस बार,
जी लूंगी बचपन फिर से एकबार।
भूल कर अपने दर्द हज़ार,
पाऊंगी बाटूंगी मैं प्यार ।
करूंगी भैया को दुलार,
पाऊंगी मां बाबू जी का प्यार।
सखियों से मिलकर हरबार,
बाटेंगे अपने सुख दुःख हज़ार।
बांधूंगी भाई को राखी का प्यार
लूंगी बलैयां मैं हजार।
दूंगी सब कुछ भैया पे मैं वार,
भैया की दूंगी नज़र उतार।
मिलें भाई को खुशियां अपरंपार,
करूं विनती प्रभु से हज़ार।
दुखों के टूटे जो पहाड़,
बन जाऊं ढाल मैं हरबार।
भैया मांगू एक ही उपहार ,
रखना मां बाबू जी का खयाल।
मुझको है तुम पे ऐतवार,
सुन मेरे प्यारे भरतार।
रक्षाबंधन का पावन त्योहार,
जगाए भाई बहन में प्यार।
एक कसम उठाएं हम इसबार,
सुन मेरे प्यारे भरतार।
ना छोड़ेंगे हम साथ ,
चाहें मुश्किल आएं हजार।
बनेंगे एक दूजे की ढाल,
जब तक जीवन है भरतार।
आया खुशियों का त्यौहार,
रक्षाबंधन का त्यौहार।
भाई बहनों का त्योहार,
ये पावन है त्यौहार।
रचना
सपना
जनपद औरैया