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सपनों का संसार बसाया,
हमने तेरी बातों पर…
तुझको ही घरबार बनाया,
हमने तेरी बातों पर…l
पर न जाने क्या तेरे मन में,
जो न आया तू जीवन में…
तुझको ही दरबार बनाया,
हमने तेरी बातों पर…l
संग चलने के कसमे-वादे,
तेरे ऐसे-कैसे ये नेक इरादे…
तुझको ही सरकार बनाया,
हमने तेरी बातों पर…l
सदियों तक जो साथ दिया है,
जो कहा वो सदा किया है…
पतझड़ से गुलजार बनाया,
हमने तेरी बातों पर…l
उन्नत जो शिखर मिला है,
उसमें कुछ हमारा सिला है…
खुद को ही पतवार बनाया,
हमने तेरी बातों पर…l
सुखमय जो है जीवन तुम्हारा,
उसमें कुछ तो है हवन हमारा…
वैभव का ये अम्बार लगाया,
हमने तेरी बातों पर…l
हर लम्हा किया भरोसा,
तुमने तारीखों को परोसा…
अरमानों को कई बार दबाया,
हमने तेरी बातों पर…l
दिल से तेरा साथ दिया है,
सब-कुछ हाथों-हाथ किया है…
तुझको इज्जतदार बनाया,
हमने तेरी बातों पर…l
सत्ता का ये स्वाद न भूलो,
अपनों से ये संवाद न भूलो…
तुझको ही हर बार बनाया,
हमने तेरी बातों पर…l
वक़्त तो है संभलना सीखो,
`मनु` के ही संग चलना सीखो…
सब-कुछ जो इस बार लगाया,
हमने तेरी बातों पर…ll
#मानक लाल ‘मनु’
परिचय : मानक लाल का साहित्यिक उपनाम-मनु है। आपकी जन्मतिथि-१५ मार्च १९८३ और जन्म स्थान-गाडरवारा शहर (मध्यप्रदेश) है। वर्तमान में आडेगाव कला में रहते हैं। गाडरवारा (नरसिंगपुर)के मनु की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी साहित्य-राजनीति) है। कार्यक्षेत्र-सहायक अध्यापक का है। सामाजिक क्षेत्र में आप सक्रिय रक्तदाता हैं। लेखन विधा-कविता तथा ग़ज़ल है। स्थानीय समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लेखन गतिविधियों के लिए कई सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं की सदस्यता ले रखी है। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक सरोकार,हिंदी की सेवा,जनजागरुक करना तथा राष्ट्र और साहित्यिक सेवा करना है।
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