शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ न होना ही सिर्फ अपाहिजपन नहीं होता,संपूर्ण होने के बाद जब स्वाभिमान खत्म हो जाता है,असल में तब अपाहिज होता है इंसानl
निशा भी अपाहिज हो चुकी थी,ऐसे लोगों के बीच थी जहां उसका स्वाभिमान दो कौड़ी का नहीं बचा थाl हज़ार बातें सुनने के बाद भी निशा घर नहीं छोड़ पा रही थी, क्योंकि खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी उसने खुद मारी थी नौकरी छोड़करl परिवार के लिए उनकी जरूरतों का ख्याल रखने के लिए नौकरी छोड़ी थी निशा ने,लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके त्याग का मोल नहीं हैl
उसके सपनों का त्याग उसे जीने नहीं देना चाहता था, कोई कदर करने वाला नहीं था,इसलिए निशा ने एक रोज़ अपने टूटे स्वाभिमान के साथ खुद को खत्म कर लियाl किसी को भनक तक नहीं लगी,कितनी बजे-क्या हादसा हो गयाl दिन गुजरने लगे…जब घर में नौकरानी की जरुरत हुई,तब अहसास हुआ कि कितने काम की थी वो निशा,जो टूटे कांच की तरह सभी को चुभती रहीl अब लोग उसकी तस्वीर के आगे आंसू बहाकर जता रहे थे और वह मुस्कुरा रही थीl अपाहिज न होने के अहसास ने उसका स्वाभिमान लौटा दिया था,मरकर…l
#जयति जैन (नूतन)
परिचय: जयति जैन (नूतन) की जन्मतिथि-१ जनवरी १९९२ तथा जन्म स्थान-रानीपुर(झांसी-उ.प्र.) हैl आपकी शिक्षा-डी.फार्मा,बी.फार्मा और एम.फार्मा है,इसलिए फार्मासिस्ट का कार्यक्षेत्र हैl साथ ही लेखन में भी सक्रिय हैंl उत्तर प्रदेशके रानीपुर(झांसी) में ही आपका निवास हैl लेख,कविता,दोहे एवं कहानी लिखती हैं तो ब्लॉग पर भी बात रखती हैंl सामाज़िक मुद्दों पर दैनिक-साप्ताहिक अखबारों के साथ ही ई-वेबसाइट पर भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl सम्मान के रुप में आपको रचनाकार प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत `श्रेष्ठ नवोदित रचनाकार` से समानित किया गया हैl अपनी बेबाकी व स्वतंत्र लेखन(३०० से ज्यादा प्रकाशन)को ही आप उपलब्धि मानती हैंl लेखन का उद्देश्य-समाज में सकारात्मक बदलाव लाना हैl