पापाजी

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deenesh prajapat
सबसे प्यारे सबसे न्यारे,
ऐसे मेरे पापाजी।
दिन-रात मेहनत करके,
मुझे पढ़ाते पापाजी॥
उठा के मुझे वो हाथों में,
सैर कराते पापाजी।
नीलगगन के झिलमिल तारे,
मुझे दिखाते पापाजी॥
बेमतलब की इस दुनिया में,
शान हमारी पापाजी।
कोई नहीं जानता मुझको,
पहचान मिरी पापाजी॥
सब गमों को दिल में छुपाकर,
मुस्काते हैं पापाजी।
प्रणाम करूँ भाग्य विधाता,
जीवनदाता पापाजी॥

                                  #दिनेश कुमार प्रजापत

परिचयदिनेश कुमार प्रजापत, दौसा जिले(राजस्थान)के सिकन्दरा में रहते हैं।१९९५ में आपका जन्म हुआ है और बीएससी की शिक्षा प्राप्त की है।अध्यापक का कार्य करते हुए समाज में मंच संचालन भी करते हैं।कविताएं रचना,हास्य लिखना और समाजसेवा करने में आपकी विशेष रुचि है। आप कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।

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