हिसार.नवोदित लेखकों को मंच प्रदान कराने के उद्देश्य से पिछले बीस साल से चलाए जा रहे मासिक काव्य गोष्ठी कार्यक्रम के अन्तर्गत नगर की प्रमुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था प्रेरणा परिवार की अक्टूबर माह की मासिक काव्य गोष्ठी स्थानीय टाऊन पार्क मे संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ की अध्यक्षता मे आयोजित की । बतौर मुख्यातिथि दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम से सेवानिवृत्त अधीक्षक अभियंता सतपाल शर्मा रहे,जबकि कुशल मन्च संचालन पी पी शर्मा ने किया ।
भीमसिहं हुड्डा ने अपनी रचना यूं सुनाई..
मोर नृत्य और पीहू पीहू करना,
ऐसा मोहक नजारा है तुम्हारी कविता में
मेरी में नहीं।
ऋषि कुमार सक्सेना के भाव देखिए
देर रात तक जागता रहा, फिर एक ख्याल आया,
कुछ सोचा फिर लिखा,बस! भूखे के लिए यही कर पाया।
संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ की रचना एक बानगी देखिए,
हमने देश को पाला है, और तुमने देश को संभाला है।
नेताओं को देखो जिनका दिल भी काला है,धन भी काला है।।
पी पी शर्मा की कविता एक बानगी देखिए,
समय पुराना हो जाता है,प्रिय बेगाना हो जाता है।
जिसको सदा गले से लगाया, वो अफसाना हो जाता है।
रमेश दूहन की कविता मां के कुछ अंश ऐसे थे,
गांधी जैसी सादगी, गांधी जैसा काम,
लाल बहादुर शास्त्री का था उनका नाम।
एक दिन जन्म दिन था एक जन्म स्थान
देश के लिए बने थे दोनों ये एक समान।।
संजय सागर की ग़ज़ल का बन्द देखीए,
मुख्यातिथि सतपाल शर्मा ने अपनी रचना ये थी,
संगीनों के साए में अमन की आस है,
अमन का नहीं पता पर इरादा तो साफ़ है।
इस अवसर पर कृष्ण कुमार इंदौरा, सरफराज खान, राजकुमार शर्मा ने भी अपनी कविता सुनाई।