तुम्हारे सारे दुख लेकर मैं खुशियाँ देने आया हूँ,
मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ, बस तेरा होने आया हूँ।
इक उम्र ने मुझको भी खुशियाँ भरपूर ही दे डालीं,
खुशियों को सब इकट्ठा कर तुम पे लुटाने आया हूँ।
मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ …॥
तुम वो पाकीज़ा मूरत हो जिसने खुशियाँ ही सबको दीं,
तुम्हारे मन के मन्दिर में इक दीप जलाने आया हूँ।
तुम्हारे सारे दुख लेकर…॥
खूबसूरत मुझको लगती हो तुम जग में सबसे सुंदर हो,
तुम्हें लगे न नज़र किसी की, नज़र उतारने आया हूँ।
मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ…॥
चाँद-सितारों ने मुझको रोका बहुत था हाथ पकड़,
तुम्हारे वास्ते सूरज भी अब ठुकरा के आया हूँ।
तुम्हारे सारे दुख लेकर…॥
ये क्यों उलझे से बाल हैं,ये रंग पे कैसे सवाल हैं,
मैं पावन अनुपम रंगों से तुमको सजाने आया हूँ।
तुम्हारे सारे दुख लेकर…॥
बहुत हुआ इकतरफा रब का सारे दुख तुमको देना,
मैं रब से लड़कर आया हूँ,मैं रब से रूठकर आया हूँ।
तुम्हारे सारे दुख लेकर…॥
प्यार तुम्हीं से है मुझको,तुम भी तो बस मेरी हो,
आज सीरत की मोहब्बत सबको दिखाने आया हूँ।
मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ…॥
क्या कहा तुमने मुझसे कि जाने नहीं दोगे मुझको,
खुश हो जाओ मैं आज यहाँ खुद को छोड़ने आया हूँ।
तुम्हारे सारे दुख लेकर…॥
पलकों पर आँसू के सागर पहरा डाल के बैठे हैं,
मैं तुम्हारी पुरनम आँखों से आँसू पोंछने आया हूँ।
तुम्हारे सारे दुख लेकर…॥
तुम्हारे सामने सारी बातें शायद ‘वशिष्ठ’ ना कह पाता,
इसीलिए एक कागज़ पर गज़ल ये लिख कर लाया हूँ।
मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ…॥
परिचय : वर्तमान में छात्र जीवन जी रहे उज्ज्वल वशिष्ठ की जन्मतिथि-१ जुलाई १९९७ और जन्म स्थान-सम्भल है। आप राज्य-उत्तरप्रदेश के शहर-बदायूँ में रहते हैं। स्नातक और एल.एल.बी. कर चुके श्री वशिष्ठ अभी सिविल परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं। सामाजिक क्षेत्र में जागरुकता अभियान चलाते हैं। गीत, ग़ज़ल और नज़्म लिखना पसंद है। लेखन का उद्देश्य-मन की भूख को शान्त करना और हर काव्य में एक संदेश छोड़ के लोगों को जागरूक करना है।
वाह छोटे गजब
उत्कृष्ट शब्दों का अद्भुत चयन
शुभकामनाएं बहुत बहुत
behtreen… waqyi behad aala…