आस्था के दीप से
जगमग अयोध्या नगरी
मनवांछित फल पाए
सज गई पुरूषोत्तम नगरी।
साधु संत और फकीर
के संग करोडो देशवासी
सब के सब है
मर्यादा पुरूषोत्तम के दासी।
उसकी लीला वही जाने
सबको राह दिखाएगा
सबका फैसला वो करे
उसे भला कौन भूला पाएगा।
आज परूषोत्तम को भी
लड़ना पडा
अपना वजूद ढूँढना पडा
अनपढो की वस्ती में
तर्क कुतर्क का पात्र बनना पडा।
एक ही तो सच है
जिसका होता है अंत
चार कांधो पर बैठकर
बोले राम नाम सत्य।
इतना तो पता है
पर मालूम नही वो कहाँ
जीवन के हरचक्र में
जो उपस्थित हो
उसे नकार देना वाजिव कहाँ।
आ गया फैसला
सब सम्मान करें
मंदिर बनने में सभी
अपना अपना योगदान करें।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति