खड़ा रहूँगा अविचल होकर संकट के तूफानों में , डटकर बना रहूँगा सदैव मुसीबत के मैदानों में । राह में ऐसा बहुत मिलेगा,जो मुझे गिराना चाहेगा , देखकर मेरा कर्म और मेहनत नतमस्तक हो जायेगा । सबकुछ करके भी भले,मैं न जाना जाऊँगा, पर अपने जीवन में, मैं हार नहीं […]

माँ ही मेरी दुनिया,माँ ही जहान है, दुनिया के सभी रिश्तों में माँ ही महान हैl  माँ मेरी लक्ष्मी,माँ ही सब भगवान है, माँ तेरा बेटा अभी भी नादान हैl   जब कोई संकट में रहता है, तो माँ का आँचल ही सिर पर पाता हैl  इसलिए दौड़कर माँ के […]

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तुम्हारे सारे दुख लेकर मैं खुशियाँ देने आया हूँ, मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ, बस तेरा होने आया हूँ। इक उम्र ने मुझको भी खुशियाँ भरपूर ही दे डालीं, खुशियों को सब इकट्ठा कर तुम पे लुटाने आया हूँ। मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ …॥ तुम वो पाकीज़ा […]

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कुछ समय तो रहो मेरे तुम स्वप्न में, कुछ समय मेरे नयनों को आराम हो। कैसे बतलाएं तुमको पुरानी कथा, बात सबकी ही झूठी-सी इक शान है। उनको जाना था लंका तो ये कर दिया, राह पत्थर बिछाते ये हनुमान हैं। रास्ते को तुम्हारे सुगंधित करुं, फिर तुम्हारी वो मंजिल […]

कभी हमारी मोहब्बत की कहानी पढ़े ये जमाना, जिसमें पाक मोहब्बत का हो खजाना। आओ दें इस दुनिया को प्रेम का, अनोखा नजराना, कुछ ऐसा हो तेरा-मेरा इश्क सूफियाना। जिसे पाकर दुनिया की रुह पावन हो जाए, हमारे प्रेम की पावन कहानी लिखे ये जमाना। ये दुनिया राधा-कृष्ण के प्रेम […]

कल तुम चली जाओगी इस सहर से, मगर मेरे दिल के सहर में बसोगी सदा। हम दोनों एक दूसरे पर मरते थे कुछ इस तरह, दिल व धड़कन जुदा नहीं हो सकते जिस तरह। इस ज़माने को रास क्यों नहीं आई मोहब्बत हमारी, इश्क के आशियाने को इस जमाने ने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।